प्रदेश में 16 लाख परिवारों के पास दुधारू पशु : कृषि मंत्री

16 lakh families have milk animals in the state Agriculture Minister

5 हजार किसानों को मिले पशु किसान क्रेडिट कार्ड (Milk Animals)

  • 2018-19 से दूध उत्पादन बढ़कर पहुंचा 107.26 लाख टन
  • प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता हुई 1087 ग्राम

चंडीगढ़ (सच कहूँ ब्यूरो)। हरित क्रांति के बाद केन्द्रीय खाद्यान्न पुल में सर्वाधिक योगदान देने वाला देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बनने के बाद हरियाणा ने श्वेत क्रांति में अपने इस प्रदर्शन को पुन: दोहराने की पहल की है। इस कड़ी में नई-नई योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, जिनके फलस्वरूप प्रदेश में दुग्ध उत्पादन व प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता में निरन्तर बढ़ोत्तरी हो रही है कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे.पी. दलाल ने कहा कि दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए सस्ते ऋण उपलब्ध करवाने हेतु किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना लागू की गई है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में लगभग 16 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनके पास (Milk Animals) दुधारु पशु हैं और इनकी टैगिंग की जा रही है। अब तक इस योजना के तहत 2.72 लाख पशुओं का बीमा किया जा चुका है तथा 5000 किसानों को पशु किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं तथा 52 किसानों के कार्डों के आवेदन विभिन्न बैंकों द्वारा स्वीकृत किए जा चुके हैं। इस योजना के तहत पशुपालक को पशुओं के रख-रखाव के लिए ऋण के रूप में अधिकतम तीन लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है।

हरियाणा श्वेत क्रांति

दलाल ने कहा कि हरियाणा की श्वेत क्रांति को सफल बनाने का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013-14 में प्रदेश का दुग्ध उत्पादन 74.42 लाख टन का था, जो वर्ष 2018-19 से बढ़कर 107.26 लाख टन पहुंच गया है तथा प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 800 ग्राम से बढ़कर 1087 ग्राम तक पहुंच गई है जिससे हरियाणा देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से दिल्ली व आसपास की लगभग 5 करोड़ जनसंख्या की रोजमर्रा की फल-फूल, सब्जी, दूध इत्यादि की जरूरतों को पूरा करने में हरियाणा अन्य राज्यों की तुलना में सबसे उपयुक्त है। प्रदेश के किसान की पकड़ इस बाजार पर हो, इस दिशा में हरियाणा ने आगे बढ़ने की पहल की है और किसानों के लिए नई-नई योजनाएं तैयार की हैं।

इसके अलावा, हरियाणा तालाब विकास प्राधिकरण का गठन भी किया गया है, जिसके तहत लगभग 15 हजार से अधिक तालाबों का पानी तीन स्तरीय, पांच स्तरीय प्रणाली से उपचारित कर सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए उपयोग करने की योजना बनाई है। हरियाणा के इस प्रबंधन को देखते हुए केन्द्र सरकार की ओर से जल स्त्रोतों के अनुकुल एवं कुशल प्रबंधन को ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

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