विश्व में फेफड़ों के कैंसर से हर साल 21 लाख लोगों की मौत

Rising levels of pollution increase lung cancer risk

हमीरपुर (एजेंसी)। राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने कहा कि दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर से हर वर्ष 21 लाख लोगों की जान चली जाती है। एपिडेमियोलॉजिस्ट और प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. पुरोहित ने मंडी स्थित अटल मेडिकल रिसर्च यूनिवर्सिटी (एएमआरयू) द्वारा सोमवार रात आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करने के बाद यहां यूनीवार्ता से बात करते हुए इस आशय का दावा किया। उन्होंने कहा कि सभी तरह कैंसर में से फेफड़ों के कैंसर का प्रतिशत 5.9 है और कैंसर से संबंधित मौत में इसका 8.1 प्रतिशत है। डॉ. पुरोहित ने हालांकि कहा कि फेफड़ों के कैंसर को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा धूम्रपान करने से फेफड़ों का 24 से 36 गुना बढ़ जाता है। जबकि धूम्रपान न करने वालों में इसका जोखिम 3.5 प्रतिशत होता है।

उन्होंने बताया कि भारत में 2025 में कैंसर के मामले 2.98 करोड़ होने की उम्मीद है। डॉ. पुरोहित ने कहा कि धूम्रपान न करने वालों में भी धुएं के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा अन्य जोखिमों जैसे वायु प्रदूषण, विकिरण थेरेपी, रेडॉन गैस के संपर्क में आने से, एस्बेस्टस और अन्य कैंसरकारी तत्वों के संपर्क में आने से फेफड़ों को कैंसर हो सकता है। उन्होंने कहा कि फेफड़े का कैंसर पुरुष और महिला दोनों को प्रभावित करता है। यह हालांकि मुख्य रूप से धूम्रपान करने वालों में होता है। जो लोग धूम्रपान नहीं करते उनमें भी 10 से 15 प्रतिशत लोगों में फफेड़ो के कैंसर की संभावना बनी रहती है।

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