शाह सतनाम जी धाम सरसा में नामचर्चा का देंखे LIVE नजारा

सरसा। शाह सतनाम जी धाम सरसा में नामचर्चा की शुरूआत पवित्र नारा ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ लगाकर की। इसके बाद कविराजों ने क्रम वाइज शब्द वाणी की। आपको बता दें कि नामचर्चा में , पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार, गुजरात सहित विभिन्न राज्यों की साध-संगत सोशल मीडिया पर लाइव जुड़ी। आइये, देखते हैं लाइव नामचर्चा का नजारा….

भगवान के नाम का जाप करने से बढ़ता है आत्मबल : पूज्य गुरु जी

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि आज के दौर में ये देखने में आता है कि इन्सान बात-बात पर गुस्सा करने लगता है, सहने की शक्ति खत्म होती जा रही है, मेमोरी पावर वीक होती जा रही है, इन्सान जरा सी बीमारी से बेइन्तहा घबरा जाता है। इन सबके पीछे क्या बात है? ऐसा क्यों हो रहा है? लोग इरीटेट रहते हैं, टैंशन में डूबे रहते हैं, जिसे देखें चेहरा यूं लगता है मानों खेस, दरी में सलवट पड़ी हो। आखिर क्या कारण है इन सबके पीछे? एक ही कारण है कि उन सबके अन्दर आत्मबल की बहुत कमी होती है। आत्मबल जिनके अन्दर कम हो जाता है उनका यही हश्र होता है। ज्यों-ज्यों आत्मबल का स्तर कम होता चला जाता है, इन्सान की सहने की शक्ति कम होती जाती है। इन्सान अन्दर ही अन्दर अपने नेगेटिव विचारों में बुरी तरह उलझ जाता है। आत्मबल की कमी इन्सान को टैंशन की तरफ धकेल देती है। जैसे-जैसे आत्मबल गिरता जाता है, वैसे-वैसे इन्सान अपनी सोचों में, नेगेटिव थॉट्स में बुरी तरह से फंस जाता है। तो बात आती है कि हम आत्मबल को कैसे बढ़ाएं?

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि हमने ये सर्च किया है, आप भी कर लीजिए, आत्मबल के लिए एलोपैथी, होम्योपैथी, नैच्यूरोपैथी, आयुवेर्दा किसी में कोई ऐसा टॉनिक नहीं है, जिसको लेने से आत्मबल बढ़ जाए। आत्मबल को बढ़ाना हर कोई चाहता है, क्योंकि सार्इंस भी तो ये मानती है कि जिनके पास आत्मबल होता है वो सफलता की सीढ़िया चढ़ते चले जाते हैं। आत्मबल सफलता की कूंजी है और हमारे धर्मों में भगवान की कृपा से हमने पढ़ा है, हमारे हिन्दू धर्म के पवित्र वेदों में साफ लिखा है कि जिनके अन्दर आत्मबल होता है वो भगवान की कृपा के पात्र होते हैं। उनके अन्दर हिम्मत, हौंसले बुलंद हो जाते हैं और जब इन्सान हिम्मत करता है तो भगवान मदद करता है। ह्यहिम्मत करे अगर इन्सान तो सहायता करे भगवानह्ण ये हमारे हिन्दू धर्म में आया। क्योंकि हमने सभी धर्मों को पढ़ा और सार्इंस के नजरिये से पढ़ा, यही बात इस्लाम धर्म में आती है कि जिनके अन्दर रूहानी ताकत नहीं होती वो लोग कभी भी किसी भी कार्य में सफल नहीं होते।

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