बेल्जियम में कोरोना के 90% नए मामले डेल्टा वेरिएंट के कारण

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ब्रसेल्स (एजेंसी)। बेल्जियम में कोविड-19 संक्रमण के करीब नब्बे फीसदी नये मामलों के लिये वायरस का डेल्टा वेरिएंट जिम्मेदार है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान साइनसानो ने यह जानकारी दी। साइनसानो के अनुसार वर्तमान समय में बेल्जियम में कोरोना के 89.2 फीसदी मामलों के लिए डेल्टा वेरिएंट और 8.4 मामलों के लिए अल्फा स्ट्रेन जिम्मेदार है। शेष 2.4 फीसदी मामले बीटा और गामा वेरिएंट के कारण हैं। बेल्जियम में 70 फीसदी से अधिक व्यस्कों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। देश में पिछले एक सप्ताह के दौरान संक्रमण में चार फीसदी की वृद्धि देखी गई है और करीब 1,400 दैनिक मामले आ रहे हैं।

  • बेल्जियम में कोरोना के 89.2 फीसदी मामलों के लिए डेल्टा वेरिएंट
  • 8.4 मामलों के लिए अल्फा स्ट्रेन जिम्मेदार
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान साइनसानो ने किया खुलासा
  • शेष 2.4 फीसदी मामले बीटा और गामा वेरिएंट के कारण हैं।
  • 70 फीसदी से अधिक व्यस्कों को कोरोना का टीका लगा
  • एक सप्ताह में चार फीसदी बढ़ी संक्रमण की दर
  • रोजाना सामने आ रहे करीब 1,400 मामले

जानें, डेल्टा प्लस वैरिएंट से कैसे कर सकते हैं बचाव

क्या हैं डेल्टा प्लस

डेल्टा वैरिएंट ही वह वजह है जिसके चलते भारत में कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर आई थी। कोविड-19 का ये वेरिएंट पहली बार भारत में ही मिला था। इसी से भारत में कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण काफी तेजी से फैलता है। साथ ही ऐसे में मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण दिखते हैं। इस वक्त ब्रिटेन और इजराइल में इसी वेरिएंट के चलते कोरोना के नए केस में तेजी से इजाफा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक इजराइल में कोरोना के 90 फीसदी केस इसी वेरिएंट के हैं। ये स्थिति तब है जब वहां 50 फीसदी लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है। कोरोना का ये एक अन्य वेरिएंट डेल्टा में ही म्यूटेशन के बाद देखने को मिला है।

डेल्टा प्लस वैरिएंट के प्रमुख सिम्पटंस

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  • खांसी, बुखार, जुकाम
  • त्वचा पर चकत्ते पड़ना
  • गले में खराश
  • टेस्ट और स्मेल ना आना
  • दस्त लगना
  • पैर की अंगुलियों का रंग बदलना
  • सीने में दर्द, सिरदर्द
  • सांस लेने में परेशानी

तो इसलिए खतरनाक है डेल्टा प्लस वैरिएंट?

हेल्थ मिनिस्ट्री और डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा प्लस को वैरिएंट आॅफ कंसर्न भी घोषित किया है। किसी भी म्यूटेशन को वैरिएंट आॅफ कंसर्न तब कहा जाता है जब उसमें ये बातें सामने आएं।

  • वायरस की संक्रमण क्षमता ज्यादा हो और वो एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैल जाए।
  • अगर म्यूटेशन वायरस की एंटीबॉडी की क्षमता को कम कर दे।
  • यह म्यूटेशन उपचार और वैक्सीन के असर को कम करने में भी सक्षम हो।
  • जांच के बाद भी आसानी से पहचान में नहीं आएं।

ऐसे करें कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचाव

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  • घर से बाहर निकलते समय डबल मास्क पहनें। अतिआवश्यक काम होने पर घर से बाहर जाएं।
  • हाथों को बार-बार अच्छी तरह साबुन से धोएं और किसी भी चीज को छूने से पहले जरूर सेनेटाइज करें।
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और कम से कम छह फीट की दूरी बना कर रखें।
  • घर की चीजों और आसपास की जगहों को साफ-सुधरा रखें और डिसइंफेक्ट करते रहें।
  • बाहर से आने वाले सभी सामान को पहले डिसइंफेक्ट करें और फिर घर में लाएं।

 

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