निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर गए बैंक कर्मी

strike in protest against privatization sachkahoon

करोड़ों के लेनदेन अटके, ग्राहक हुए परेशान

  • कर्मचारियों ने नारेबाजी कर जताया रोष, वित्तमंत्री को भेजा ज्ञापन

चंडीगढ़। (सच कहूँ न्यूज)। बैंकों व सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने दो दिवसीय हड़ताल के प्रथम दिन प्रदेश के सरसा, फतेहाबाद, भिवानी, जीन्द, हिसार, कैथल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, फरीदाबाद, गुरुग्राम सहित विभिन्न जिलों में सभी बैंकों को बंद रखकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रोष जताया। इसके चलते जहां बैंक ग्राहकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं चैक क्लीयरेंस न होने के चलते करोड़ों रुपये का लेन-देन ठप्प हो गए। इस कारण उद्योग और व्यापार जगत से जुड़े लोगों की भी मुश्किलें बढ़ी। बैंक कर्मियों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी बात न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी।

कई विभागों और संगठनों के लोग आए साथ

भिवानी में स्थानीय घंटाघर स्थित एसबीआई बैंक परिसर के बाहर सभी बैंक कर्मचारी एकत्रित हुए, वहां उन्होंने जोरदार तरीके से अपनी आवाज को उठाते हुए उपायुक्त के माध्यम से वित्तमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा। बैंक कर्मियों की हड़ताल में अखिल भारतीय किसान सभा, सर्व कर्मचारी संघ, बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ, बर्खास्त पीटीआई संगठन, भारतीय डाक सेवा कर्मचारी सहित अन्य जनसंगठनों ने भी समर्थन किया।

आर्थिक गुलामी की ओर धकेलने की तैयारी

इस मौके पर कामरेड कंवर सिंह, कामरेड चिरंजीलाल कॉमरेड प्रदीप और कॉमरेड सत्यशील कौशिक ने संयुक्त रूप से कहा कि सरकार सरकार एक-एक करके सभी सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण और अप्रत्यक्ष रूप से जनता का शोषण वाले, आर्थिक गुलामी की तरफ ले जाने सारे कार्य बड़ी जोरशोर से कर रही है।

अब जनता की मेहनत की कमाई पर नजर

उन्होंने कहा कि सरकार की अब नजर जनता द्वारा जमा की गई उनकी मेहनत की कमाई पर आ गई है, पहले बैंकों का विलय के द्वारा शुरूआत की, जिससे पहले बैंकों के संगठन से उसके सदस्यों को निकालकर कमजोर किया जाए और फिर अब बैंकों का निजीकरण करके बैंकों में जनता का जमा राशि पर नजर है, जिसका हाल ही में हुए पीएमसी बैंक के दिवालिया, यस बैंक, रिलायंस कैपिटल उदाहरण हैं।

बैंकों का पैसा बड़े घरानों को दिला कराया राइट ऑफ उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले तो बैंकों में जमा राशि को लोन के रूप में बड़े घरानों को वितरित कराकर फिर उनको बैलेंस शीट से राइट ऑफ करा दिया और बैंकों को घाटे में आना शुरू हो जाए, जिससे जनता को यह लगे की बैंक सही रूप से कार्य नहीं कर रहे और बैंकों को दोषी दिखाकर बैंकों का निजीकरण करना जनता के समर्थन के साथ आसान हो जाएगा। लेकिन अब जनता और कर्मचारी वर्ग भी जागरूक हो गया है, अब सरकार को उसके इस नापाक मंशा में कामयाब नहीं होने देंगे, जिसके लिए हमें चाहे अनिश्चितकालीन हड़ताल भी करनी पड़े वह भी करेंगे।

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