राजस्थान में प्रवासी पक्षी कुरजां पर बर्ड फ्लू का संकट छाया

मंगोलिया से हजारों किमी. का सफर तय कर पहुंचते हैं ये पक्षी

जोधपुर (एजेंसी)। साइबेरिया एवं मंगोलिया से हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर शीतकालीन प्रवास पर राजस्थान आई प्रवासी पक्षी कुरजां (डोमीइसेल क्रेन) इस बार बर्ड फ्लू की चपेट में आ गई और अब तक इससे करीब 170 कुरजां की मौत हो चुकी है। नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हाई सिक्योरिटी एनीमल्स डिजीज भोपाल की रिपोर्ट में जोधपुर जिले के कापरड़ा में मरी कुरजां में बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई है। पिछले सप्ताह इन पक्षियों के बीमार पड़ने एवं मरने का सिलसिला शुरू होने पर जांच के लिए मृत कुरजां के नमूने भोपाल भेजे गए थे।

आम लोगों को क्षेत्र से दूर रहने के निर्देश

जोधपुर माचिया बायोलॉजिकल पार्क के डॉ. ज्ञान प्रकाश ने बताया कि भोपाल से प्राप्त रिपोर्ट में एवीयन इन्फ्लुएंजा वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई, जो एच5 एवं एन1 प्रकार का है। उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद कुरजां वाले क्षेत्रों में आम लोगों को दूर रखने, बीमार कुरजां के इलाज एवं मृत पक्षियों के निस्तारण के दौरान वहां काम में लगे चिकित्सक सहित अन्य लोग पीपीई कीट पहनने तथा अन्य जरूरी सावधानी बरती जा रही है।

नहीं थम रहा पक्षियों की मौत का सिलसिला

उन्होंने बताया कि इसका असर जोधपुर जिले के कापरड़ा, ओलवी एवं रामासनी में ज्यादा देखने को मिला और इन क्षेत्रों में अब तक 150 से अधिक कुरजां की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि जोधपुर से सटे पाली जिले में भी इन पक्षियों की मौत हुई है। पाली जिले के सरदारसमंद में शुक्रवार को करीब दस कुरजां की मृत्यु हो गई। प्रदेश में अब तक इससे लगभग 170 कुरजां की मृत्यु हो चुकी है।

पहले रानीखेत का था संदेह

उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू की रिपोर्ट आने से पहले मृत कुरजां के पोस्टमार्टम के बाद बीमार पक्षियों को इलाज रानीखेत बीमारी मानकर किया जा रहा था, लेकिन अब स्पष्ट हो गया कि इनकी मौत बर्ड फ्लू से हुई है और अब इसके अनुसार इलाज एवं सावधानी बरती जा रही है। इससे पहले इनके बचाव के लिए इनका वैक्सीनेशन भी किया गया।

वाइल्ड लाइफ आॅफ इंडिया की टीम ने किया निरीक्षण

उन्होंने बर्ड फ्लू को पक्षियों के लिए घातक बताते हुए कहा कि फिलहाल यह बीमारी सीमित क्षेत्र में ही है और इसके अन्य जगहों पर फैलने की सूचना नहीं है, इस कारण इसके अन्यत्र नहीं फैलने पर सप्ताह भर में इस पर काबू पा लेने की संभावना है। वन्यजीव चिकित्सक डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ ने बताया कि बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद वाइल्ड लाइफ आफ इंडिया की टीम भी मौके पर पहुंची है।

खींचन में सतर्कता बढ़ाई

उधर फलौदी से चिकित्सा अधिकारी (पक्षी) डॉ. भागीरथ ने बताया कि हजारों कुरजां के जमावड़े वाले खींचन में अभी किसी कुरजां के बीमार होने का मामला सामने नहीं आया है। हालांकि यहां भी सावधानी बरती जा रही है। इसके अलावा जोधपुर जिला प्रशासन ने ने अधिकारियों की बैठक लेकर बर्ड फ्लू से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

बर्ड फ्लू से इन पक्षियों की मौत के बाद भरतपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान सहित प्रदेश के पक्षियों के डेरे वाले स्थानों पर निगरानी बढ़ा दी गई है और पशुपालन विभाग ने कुछ स्थानों से पक्षियों की बीट के नमूने भी लिए गए हैं।

मार्च में वापसी करते हैं ये पक्षी

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इस समय जैसलमेर एवं जोधपुर एवं पाली सहित कुछ जिलों में अलग-अलग स्थानों पर हजारों कुरजां ने डेरा डाल रखा है। साइबेरिया एवं मंगोलिया से लंबा सफर तय कर हर वर्ष सर्दी के मौसम में कुरजां राजस्थान आती है और सर्दी के बाद मार्च महीने के आखिरी में वापसी की उड़ान भरने लग जाती है।

 

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