शरीरदानियों की सूचि में एक और ‘इन्सां’ का नाम शामिल

इंसानियत के लिए शरीरदान और नेत्रदान कर अमर हो गए ‘परमानन्द इन्सां’

  • केडी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मथूरा (उतर प्रदेश) के छात्र करेंगे रिसर्च
  • अंतिम विदाई के दौरान बड़ी संख्या में शामिल हुई साध-संगत व रिश्तेदार

रतिया। (तरसेम सैनी/शामवीर) डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाई गए ‘अमर सेवा’ मुहिम के तहत परमानन्द इन्सां (92) ने मरणोपरांत मेडिकल शोध के लिए शरीरदान समाज के लिए अनुकरणीय मिसाल पेश की है। परिजनों ने बताया कि परमानन्द इन्सां ने शरीरदान का प्रण लिया हुआ था। उनकी आखिरी इच्छा को पूरा करते हुए केडी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मथूरा (उतर प्रदेश) को शरीर दान किया गया है जहां विद्यार्थी शोध कार्य कर सकेंगे। इसके साथ ही उनके नेत्र भी दान किये गए हैं जो दो अंधेरी जिन्दगियों को रौशनी देने का काम करेंगे।

अंतिम यात्रा के दौरान ब्लॉक भंगीदास देवराज इन्सां, 15 मेंबर प्यारेलाल इन्सां, गुरदास इन्सां, विजय सोनी इन्सां, मास्टर काहन सिंह इन्सां, 15 मेंबर बलवंत इन्सां, सीए सुखदर्शन इन्सां, किशन लाल, मिट्टू इन्सां, गुलाब अरोड़ा, सौदागर इन्सां, सावन राम (सोहन ग्रोवर), अशोक मदान इन्सां, दलवीर नंबरदार, रोशन सचदेवा, राकेश इन्सां, 25 मेंबर उत्तम इन्सां, नगंल, आशा सिंह, ओमप्रकाश चोपड़ा, जसवीर सूबेदार, उषा चोपड़ा, अंजू जग्गा, ममता के अलावा शाह सतनाम सिंह जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के जवानों शरीरदानी व नेत्रदानी अमर रहे के नारे लगाते हुए उन्हें अंतिम विदाई दी।

बेटियों व पोतियों ने दिया अर्थी को कंधा

पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई कार्य में से एक बेटी-बेटा एक समान मुहिम के तहत परमानन्द इन्सां के पार्थिव शरीर को उनकी बेटियों व पोयियों, कमलेश इन्सां, सुखप्रीत इन्सां, कमलप्रीत इन्सां, प्रियंका इन्सां, कृष्णा रानी, कमलप्रीत, अनमोल ने अर्थी को कंधा देकर बेटा बेटी एक समान मुहिम को सार्थक किया। परमानन्द इन्सां की बेटियों ने बताया कि उनके पिता की अंतिम इच्छा अनुसार उनके शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर समाज के लिए एक मिसाल कायम करके गए।

पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से लिया था गुरुमंत्र

शरीरदानी व नेत्रदानी परमानन्द इन्सां ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नामदान लिया
था। और तभी से वह सेवा कार्य में जुटे रहे और दिन-रात दूसरों की मद्द करने के लिए तैयार रहे। उन्होंने अपना पूरा परिवार पर मानवता भलाई कार्यों में लगाए रखा। जब भी ब्लॉक की तरफ से सेवा का संदेश आता तो परमानंद इन्सां सदा तैयार रहते। वहीं परिजनों ने बताया कि पूजनीय परम पिता जी ने उनकी सेवा भावना को देखते हुए परमानंद की जगह उनका नाम ‘परमानेंट’ रखा था।

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