शरीरदानी माता गोविंदो के नमित नामचर्चा आयोजित

-माता गोविंदों ने समाज के लिए एक अनुकरणीय मिसाल कायम की: सतपाल
-साध-संगत ने दी श्रद्धांजलि

रतिया। (सच कहूँ/तरसेम सैनी, शामवीर) ब्लॉक रतनगढ़ के गांव भुन्दडवास में शरीरदानी माता गोविंदो नामित नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा के दौरान साध-संगत ने पहुंचकर माता गोविंदो को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि दी। 15 मैंबर सतपाल इन्सां, बलकार इन्सां व डा़ गुरबाज सिंह इन्सां की माता शरीरदानी माता गोविंदो इन्सां (85) पत्नी स्वर्गीय भूरा सिंह इन्सां का गत दिनों निधन हो गया था। नामचर्चा का शुभारंभ पवित्र नारा प्रीत इन्सां ने लगाकर की गई। जिसके बाद कविराजों द्वारा चेतावनी प्रथाएं भजन बोलकर मानव जीवन की सार्थकता के बारे में बताया।

नामचर्चा की अंतिम क्षणों पर ब्लॉक जिम्मेदार कमेटी द्वारा शरीरदानी माता गोविंदो इन्सां के परिजनों को स्मृति चिन्ह दिया गया। 45 मैंबर सतपाल टोहाना ने बताया कि शरीरदानी गोविंदो इन्सां के परिजनों ने मृतदेह दान कर समाज के लिए एक अनुकरणीय मिसाल कायम की है। शरीर दान करना बहुत बड़ी बात है। जिसके लिए शरीरदानी का परिवार धन्य करने के काबिल है। जिन्होंने लोक लाज की परवाह न करते हुए पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए गए 142 मानवता भलाई कार्यों में सम्मिलित कार्य को दिशा दी।

इस मौके पर ब्लॉक के 25 मैंबर मौजूद थे।

शरीरदानी गोबिंदो इन्सां ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से नाम शब्द की अनमोल दात ली हुई थी। इस मौके पर ब्लॉक के 25 मैंबर उत्तम इन्सां,15 मैंबर बघेल इन्सां, 15 मैंबर जसवीर प्लाट इन्सां, जगराज राज 15 मैंबर, दलबीर नम्बदार, केवल इन्सां अलीका,1 5 मैंबर प्रीत इन्सां रतिया से15 मैंबर ध्यान इन्सां, आशा सिंह इन्सां, गुरनेव इन्सां, श्याम सुन्द्र 45 मैंबर, डॉ. शिव नारायण इन्सां, धर्मपाल सिंह, राजेंद्र सिंह, चांदी राम, केवल सिंह व नौजवान समिति और बड़ी संख्या में रतनगढ़, रतिया जाखल, टोहाना व फतेहाबाद आदि ब्लॉकों की साध-संगत और शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार बहन और भाई बड़ी संख्या में मौजूद थे।

45 सतपाल टोहाना, भुवनेश, उमेद, शेर सिंह, हरदीप, चंद्रभान, श्याम सुंदर, 45 बहन उषा चौपड़ा 25 मैंबर उत्तम इन्सां, सूबेदार जसबीर,15, जगजीवन, गुरजंट दलवीर नंबरदार, राज हरदेव डॉक्टर सतनाम, रवि, बहादुर, ब्लॉक भंगीदास रतिया देवराज, मिट्ठू, रजनीश मास्टर काहन सिंह ब्लॉक रतनगढ़, रतिया, जाखल, बोहा की साध-संगत मौजूद थी।

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