मिड-डे-मील में ज्यादा चावल खाने से कुपोषण का शिकार हो रहे बच्चे!

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फतेहाबाद में 1904 में से 125 बच्चे मिले कुपोषित

निरोगी हरियाणा की स्क्रीनिंग में हुआ खुलासा

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फतेहाबाद (सच कहूँ ब्यूरो)। सरकारी स्कूल में बच्चों को दिए जा रहे मिड-डे-मील  (Midday Meal) में चावल की मात्रा अत्याधिक परोसने से बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग को बच्चों में कुपोषण को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। तीनों विभागों द्वारा लगाए गए कैम्पों में पता चला है कि बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाना, इसका बड़ा कारण है। Fatehabad News

इन विभागों ने स्क्रीनिंग की तो 1904 में से 125 बच्चे कुपोषण का शिकार मिले। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के विद्यार्थियों को मिड-डे मील दिया जा रहा है, लेकिन इसका बजट इतना कम है कि रेसिपी बन ही नहीं पा रही है। इसके अलावा जो रेसिपी दी गई है, उसे छात्र खाना पसंद नहीं करते हैं। चावल की रेसिपी को कम करके गेहूं को बढ़ावा दिया जाए, ताकि कुपोषण को खत्म किया जा सके। निरोगी हरियाणा और जिला आरंभिक हस्तक्षेप केंद्र की स्क्रीनिंग रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। Fatehabad News

निरोगी हरियाणा द्वारा जिले में स्क्रीनिंग की गई, इसमें 125 बच्चे कुपोषण का शिकार मिले हैं। इसके अलावा स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों की स्क्रीनिंग कर रही जिला आरंभिक हस्तक्षेप केंद्र की टीम को अप्रैल से अगस्त माह तक 91 बच्चे कुपोषण का शिकार मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1904 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई है। इसमें 49 लड़के और 42 लड़कियां कुपोषण का शिकार मिली हैं। Fatehabad News

निरोगी हरियाणा के तहत फतेहाबाद जिले में 4 लाख 62 हजार लोगों की स्क्रीनिंग होनी है। अब तक एक लाख लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। इसमें 125 बच्चे कुपोषण का शिकार मिले हैं। इसके पीछे कारण ये है कि बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर माता-पिता को जागरूक किया जा रहा है।
                                                                                      -मेजर डॉ. शरद तुली, उप सिविल सर्जन

स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के विद्यार्थियों को मिड-डे मील दिया जा रहा है, लेकिन बजट इतना कम है कि रेसिपी बन ही नहीं पा रही है। इसके अलावा जो रेसिपी दी गई है उसे छात्र खाना पसंद नहीं करते हैं। चावल की रेसिपी को कम करके गेहूं को बढ़ावा दिया जाए ताकि कुपोषण को खत्म किया जा सके।
                                                            -देवेंद्र सिंह दहिया, राज्य चेयरमैन, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ

जिला आरंभिक हस्तक्षेप केंद्र की तरफ से स्कूलों में जाकर टीमें छात्रों की स्क्रीनिंग कर रही है। स्क्रीनिंग के दौरान जो छात्र कुपोषण का शिकार मिल रहे हैं उनके मां-बाप को जागरूक किया जा रहा है। जरूरत अनुसार जांच भी करवाई जा रही है ताकि बच्चों में कमियों का पता चल पाए और समय रहते उपचार शुरू किया जा सके।
                                                                         -सुखदेव सिंह, मैनेजर, जिला आरंभिक हस्तक्षेप केन्द्र

रेसिपी पसंद नहीं कर रहे छात्र | Fatehabad News

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र कुपोषण का शिकार न हो इसको लेकर मिड-डे मील दिया जा रहा है। विशेषज्ञों से जब बात की गई तो सामने आया कि मिड डे मील का बजट इतना ज्यादा नहीं है कि बच्चों को पूरा पौष्टिक आहार दिया जा सके। ऐसे में कम बजट के चलते विद्यार्थियों को मिड डे मील में चावल ज्यादा परोसे जा रहे हैं जबकि पौष्टिक माना जाने वाले गेहूं की नाममात्र मात्रा ही है।

यानि मिड डे मील में 60 फीसदी चावल आइटम है तो 40 फीसदी गेहूं की रेसिपी दी जा रही है। कुक भी चावल की रेसिपी बनाकर खुश है, क्योंकि चावल बनाने में उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और ये जल्द ही बन जाते हैं जबकि गेहूं की रेसिपी बनाने में मेहनत और समय दोनों ज्यादा लगता है। इसका असर छात्रों की सेहत पर पड़ रहा है। गेहूं की रेसिपी की बात की जाए तो नमकीन दलिया बनाया जाता है, जिसे छात्र खाना पसंद नहीं करते हैं। Fatehabad News

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