घायल अवस्था में दर्द से तड़प रहे व्यक्ति के लिए फरिश्ता बना डेरा अनुयायी

  •  कोलकता का रहने वाला है मानसिक रूप से कमजोर ‘सपन’
  • प्रेमपाल इन्सां कर रहे सार-संभाल, परिजनों की तलाश जारी

सच कहूँ/विजय शर्मा
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा शुरू की गई ‘इंसानियत’ मुहिम मंदबुद्धि व घर से लापता लोगों के लिए वारदान साबित हो रही है। इसी मुहिम के तहत गत दिनों हरियाणा के जिला सोनीपत में भालगढ़ रोड़, दीवान फार्म के पास जब डेरा अनुयायी ने मानसिक रूप से कमजोर सपन कुमार (37) पुत्र बेनीमादव को घायल अवस्था में भूख व दर्द से तड़पते देखा तो उसकी तुरंत सार-संभाल की। पूज्य गुरु जी की दी गई पावन शिक्षा पर चलते हुए डेरा अनुयायी प्रेमपाल इन्सां ने सबसे पहले उसे जूस पिलाया और भोजन खिलाया। जिसके बाद डेरा अनुयायी उसे अपने घर लेकर आया व उसे नहला कर नये कपड़े दिये व उसके जख्मों पर मरहम पट्टी की। डेरा अनुयायी प्रेमपाल इन्सां ने बताया कि सपन के परिजनों को पता लगाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है, इसके लिए जिम्मेवारों से भी संपर्क किया गया। उन्होंने साध-संगत व आमजन से भी अपील की है कि यदि किसी को सपन के परिजनों के बारे में कोई भी जानकारी मिले तो मोबाइल नंबर 8950534083 पर सूचना दें।

फर्राटेदार इग्लिश बोलता है सपन, कोलकता का है रहने वाला

सच कहूँ संवाददाता से बातचीत करते हुए ब्लॉक सोनीपत निवासी डेरा अनुयायी प्रेमपाल इन्सां ने बताया कि एक सप्ताह पहले जब उसे घायल व्यवस्था में भटकता हुआ सपन मिला था तो वह कुछ भी बोलने में असमर्थ था, सिर पर चोट लगी हुई थी शायद कोई वाहन चालक उसे टक्कर मार गया था। घर लाने के बाद जब उसकी सार संभाल की गई तो एक दो दिनों के बाद उसने अपना नाम सपन बताया। उसने बताया कि वह कोलकता का रहने वाला है। लेकिर पूरा पता बताने में असमर्थ था। प्रेमपाल इन्सां ने बताया कि सपन पढ़ा लिखा है और अंग्रेजी लिख भी लेता और बोलता भी हैं।

साहब! मुझे मेरे घर पहुंचा दो…

रविवार को डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना दिवस के पावन भंडारे की नामचर्चा में जब डेरा अनुयायी प्रेमपाल इन्सां, सपन कुमार को लेकर पहुंचे तो वह बेहद खुश नजर आया। सच कहूँ संवाददाता विजय शर्मा से बातचीत में सपन ने बताया कि वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। उसका घर कोलकता में है। सोनीपत कैसा पहुंचा ये बताने में सपन असमर्थ था। उसने हाथ जोड़ते हुए कहा कि साहब! मुझे मेरे घर पहुंचा दो। मुझे माँ-बाप के पास जाना है।

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