डेरा अनुयायी वीरेन्द्र इन्सां की ‘जीव प्रेमी’ के रूप में बनी पहचान

जख्मी जीवों की मदद के लिए हर समय तैयार रहते है इन्सां

  • घर में बनाकर रखा है छोटा उपचार केन्द्र

गोरीवाला(सच कहूँ/अनिल कुमार)। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु इंसान ही नहीं बेजुबानों की भी सार संभाल अपने बच्चों की तरह करते हैं। ऐसे ही जीव प्रेमी है सरसा जिला के ब्लॉक दारेवाला के गांव रामपुरा बिश्रोईयां निवासी वीरेन्द्र इन्सां। वीरेन्द्र इन्सां को जब भी कहीं कोई जीव जख्मी व मुसीबत में नजर आते है तो वह उनका दु:ख दूर करने के लिए दौड़ा चला आता है। खास बात यह है कि पिछले 8 वर्षों से बेजुबान जानवरों के हर दु:ख दर्द को बांटने में मशगूल वीरेंद्र सिंह इन्सां बेजुबानों को अपने घर में ही पनाह देकर अपने पुत्रों की माफिक उनका दु:ख दर्द बांट रहा है।

बेजुबान की परवरिश कर रहा है इंसान समझकर

रामपुरा बिश्नोईयां और दर्जनभर गांवों के साथ-साथ दूरदराज के एरिया में भी यदि कोई बेजुबान जानवर घायल हो जाता है या किसी भी परिस्थिति में होता है तो वीरेंद्र सिंह इन्सां शीघ्र अति शीघ्र उसकी सार-संभाल के लिए पहुंच जाता है। अब तक वह सैंकड़ों बेजुबान जानवरों को ठीक कर चुके हैं। वर्तमान में भी वीरेन्द्र इन्सां खेत के कुएं में गिरे नील गाय के बच्चे का उपचार कर रहे हैं। नील गाय का बच्चा कुएं में गिर गया था। जब इसकी जानकारी वीरेन्द्र को लगी तो उन्होंने कोई देरी किए बिना अपने साथी गुरविन्द्र सिंह, राम बावा, सन्दीप कुमार को साथ लेकर उस बंद पड़े कुएं जाकर नीलगाय को सुरक्षित बाहर निकाला। वर्तमान में लंपी स्किन वायरस के लिए भी वीरेंद्र सिंह इन्सां दो दर्जनभर गोवंश के उपचार में जुड़ा हुआ है।

जब तक जिंदा हूँ निभाता रहुंगा फर्ज: वीरेंद्र इन्सां

वीरेंद्र इन्सां ने कहा कि पशु पक्षी व जानवर बेशक बेजुबान हो लेकिन इनकी दुआएं इंसान की जिंदगी को बेहद खुशहाल बना देती हैं। दूसरी बात यह है कि इंसान को चोट लगने पर संभालने वाला जरूर मिल जाएगा। लेकिन बेजुबानों की सुध लेने वाले शायद ही मिले। जब तक जिंदा हूं इन जीव-जंतुओं की सेवा के लिए काम करता रहूंगा।

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