दोहरी नीति न अपनाई जाए

Israeli Palestinian Conflict

फिलीस्तीन व इजराईल में 11 दिन तक चला युद्ध आखिरकार थम गया है। दोनों पक्षों ने रजामंदी कर हमले रोक दिए हैं। भले ही इस लड़ार्ड में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं व जान माल का भारी नुक्सान हुआ है, फिर भी युद्ध पर विराम लगना अमन शांति कायम करने की दिशा में बड़ा कदम है। अब इस बात की सबसे पुरजोर आवश्यकता है कि फिलीस्तीन के समर्थक अरब देश व इजराईल समर्थक यूरोपीय देश दोहरी नीति से बचें। दरअसल, अरब देश शातिराना चालें चल रहे हैं, एक तरफ ये देश युद्ध बंद होने का स्वागत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर फिलीस्तीन का समर्थन कर अपनी पुरानी नीति पर कायम हैं। तुर्की, ईरान, सऊदी अरब व पाकिस्तान फिलीस्तीन के समर्थन में लहर चला रहे हैं।

ऐसा करना इजराईल व फिलीस्तीन को नए युद्ध के लिए तैयार करना व दुनिया को धर्म के नाम पर विभाजित करना है। अगर कोई देश वास्तव में अमन-शांति के इच्छुक हैं तब किसी एक देश की पीठ थपथपाने की बजाय युद्धबंदी के लिए दोनों देशों की प्रशंसा करें। इसके साथ ही इन देशों को यरूशलम मामले के पक्के हल के लिए जमीन तैयार करने में अपना योगदान देना चाहिए। ईरान व अन्य मुस्लिम देश फिलीस्तीन के साथ डट कर खड़े होने के बयान दे रहे हैं। ऐसी अपीलें अपने आप में इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देती हैं। इधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इजराईल के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी है। तुर्की के राष्टÑपति रेचप तैयब अर्दोआन ने इजराईल को आतंकवादी देश करार देने के लिए बयानबाजी शुरू कर दी है। पाकिस्तान का आगे आने का मकसद भी साफ नजर आ रहा है कि वह मुस्लिम देशों की एकता से कश्मीर का मामला हल करने के लिए जोर लगा रहा है।

इस माहौल में अगर कोई स्थाई तौर पर अमन-शांति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है तब वह संयुक्त अरब अमीरात है।  इस देश ने युद्ध को रोकने के लिए अपील करने के लिए संयुक्त राष्टÑ का धन्यवाद किया है। भले ही यूएई ने इजराईल की निंदा की है लेकिन फिर भी इस देश ने फिलीस्तीन व इजराईल दोनों देशों के मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी है। यूएई ने यह भी अपील की है कि वह फिलीस्तीन व इजराईल की आने वाली पीढ़ियों को अमन-शांति का हल देने के लिए अंतरराष्टÑीय सहयोग से काम करने के लिए तैयार हैं। इसलिए तुर्की व पाकिस्तान जैसे देश बुझी आग पर घी डालने की बजाय मध्य पूर्व में स्थाई अमन-शांति व खुशहाली के लिए प्रयास करें। इस बात की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि अगर फिलीस्तीन व इजराईल के मसले से छेड़छाड़ की गई तब ये विश्व युद्ध का रूप धारण कर सकता है। ईश्वर करे शांति बनी रहे।

 

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