गाजियाबाद में अपनी मांगों को लेकर गरजे किसान

Ghaziabad
  • सरकार ने मांगें नही मानी तो लड़ाई आर-पार की होगी: बिजेंद्र सिंह
  •  कान खोलकर सुन ले सरकार ,किसान अपना हक लेकर रहेगा:जयकुमार मालिक

गाजियाबाद (सच कहूँ/रविन्द्र सिंह)। देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भारतीय किसान यूनियन(भाकियू)के राष्ट्रीय आवाहन पर भाकियू के जिला प्रभारी जयकुमार मलिक एवं गाजियाबाद के जिला अध्यक्ष चौधरी बिजेंद्र सिंह के नेत्रत्व में गाज़ियाबाद जिला मुख्यालय पर सेकड़ो भाकियू कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर डीएम के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के नाम सिटी मजिस्ट्रेट गम्भीर सिंह को ज्ञापन सौपा गया। भाकियू के जिला अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन विगत 35 वर्षों से किसान हितों की लड़ाई लड़ रही है। किसान लगातार खेती में हो रहे घाटे की वजह से परेशानी झेल रहा है।

आय के साधन सीमित होने के वजह से किसान आज हाशिये पर चला गया है। उसके परिवार का पालन-पोषण से लेकर बच्चों तक की पढ़ाई पर बुरी तरह असर पड़ रहा है। सत्र 2022-23 में प्रदेश का किसान आशा के साथ यह उम्मीद लगा रहा था कि इस बार गन्ने के भाव में बढ़ोत्तरी होगी। जिससे उसे थोडी बहुत राहत पहुंचेगी। लेकिन ऐसा भी न हो पाया और गन्ने का भाव इस सत्र में भी नहीं बढ़ा। जिससे प्रदेश के गन्ना किसानों को निराशा हाथ लगी। गन्ने की खेती में खर्च लगातार बढ़ते जा रहे हैं। डीजल और उर्वरक के दाम प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।

इसी अनुपात में गन्ने का भाव भी बढ़ना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। प्रदेश और राज्य सरकार लाख दावे करे लेकिन देश का किसान घाटे की खेती करते-करते आत्महत्या के कगार पर पहुंच चुका है। न उसे फसलों के दाम मिल रहे और न बिजली-पानी में रियायत हो पा रही और न ही कृषि ऋण से उसे छुटकारा मिल पा रहा।किसान का एक मात्र सहारा गन्ना ही है उसका भी भुगतान नहीं हो पा रहा है। और न ही उसके सही रेट किसान को मिल रहे, केवल किसान का गन्ना है जो जीरो का रेट भरकर खरीद लिया जाता है।

और बाद में जो चाहो रेट भर दो, इसके उलट सारे सामान का रेट बेचने वाला खुद लगाता है।इधर फसलों को आवारा पशुओं ने तहस-नहस कर रखा है। सरकार आश्वासन देकर किसानों को छलने का काम कर रही है। किसान आवाज उठाए तो उसे जेल में ठूंसने का काम किया जा रहा है। चाहे चुनावी घोषणा पत्र हो या बजट, उसमें किसानों के लिए लोक लुभावने वादे तो किए जाते हैं लेकिन देने के नाम पर केवल कंपनियों को तिहाई से ज्यादा रकम देकर सरकारें किसानों को लूटने का काम कर रही हैं। इसलिए मजबूरी में किसानों को आंदोलन की राह पकड़ने पर मजबूर होना पड़ता है।


ये समय किसान का खेत में काम करने का है लेकिन मजबूरी में उसे आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार भारतीय किसान यूनियन ने ठानी है कि सरकार ने मांगें न मानी तो लड़ाई आर-पार की होगी। किसान अपना हक लेकर ही मानेगा। कहा कि भारतीय किसान यूनियन ज्ञापन के माध्यम से निम्नांकित मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराना चाहती है।

यह है किसानों की 14 सूत्रीय मुख्य मांगे

1- पिछले वर्ष गन्ने का मूल्य चार वर्षों में मात्र 25 रुपये प्रति कुंतल बढ़ाकर किसानों को और गरीब बनाने का काम किया गया। कम से कम 500 रुपये कुंतल गन्ने का भाव किया जाए और बकाया भुगतान तत्काल कराया जाए। गन्ने के भुगतान की डिजीटल व्यवस्था हो।

2- प्रदेश में सबसे विकराल समस्या किसानों के सामने छुट्टा पशुओं को लेकर है। सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी परती की जमीनों पर पशुशालाएं बनाए ताकि किसानों को खेती के अलावा जान-माल की सुरक्षा भी हो सके।

3- चुनाव घोषणा पत्र के मुताबिक किसानों को बिजली फ्री की जाए। नलकूपों पर लगाए जाने वाली मीटर की स्कीम को तत्काल वापस लिया जाए। गांवों में गरीबों को भी बिजली फ्री में मुहैया कराने का काम किया जाए। सात राज्यों में किसानों को बिजली मुफ्त में देने का काम राज्य सरकारें कर रही हैं, उस मॉडल को यूपी में भी लागू किया जाए।

4- फसलों के उचित लाभकारी मूल्य के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार लागू करे। इसके लिए बी2 S 50 के फामूले को तत्काल लागू किया जाए।

5- एमएसपी गारंटी कानून बनाने के मामले में केंद्र सरकार कमेटी को निर्देशित करे और कानून को अमलीजामा पहनाया जाए। देश में एक अलग से किसान आयोग का गठन किया जाए।

6- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमों को तत्काल वापस लिया जाए, और जेल में बंद किसानों को बिना शर्त तुरंत रिहा किया जाए। इसके अलावा किसानों से संबंधित मुकदमों का समय सीमा के भीतर निस्तारण करने की व्यवस्था की जाए।

7- किसान परिवारों को स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत लाया जाए और कर्मचारियों की तर्ज पर कम से कम पांच लाख का बीमा दिया जाए। उनकी सामाजिक सुरक्षा को पुख्ता किया जाए। हर गांव को स्वच्छ जल योजना के दायरे में लाया जाए।

8- विकसित देशों की तरह खाद-बीज व कीटनाशक के क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में किसानों के नाम पर उद्योगों को दी जा रही सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाए।

9- सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए रूफ टॉप सब्सिडी दी जाए और किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए जिससे बिजली पर गांवों की निर्भरता कम हो सके।

10- मंडी व्यवस्था को और सुदृढ करते हुए नगदी फसलों को खरीदने के लिए किसान ग्रुपों को बनाने और उनको साधन मुहैया कराने में सरकार को पहल करनी चाहिए। बिहार समेत बाकी राज्यों खासकर उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों में मंडियों को मजबूत बनाया जाए ताकि किसान के साथ स्थानीय लोगों को खाने के लिए सस्ता अनाज मिल सके।

11- लम्पी वायरस से प्रदेश में मृत पशुओं का सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिया जाए।

12- एनजीटी के नियमों में किसानों के लिए ढील देने का काम किया जाए। कृषि में काम आने वाले यंत्रों व साधनों को लेकर विशेष योजना के अंतर्गत समय सीमा में छूट देने का प्रावधान किया जाए।

13- भूमि अधिग्रहण की नीति को किसानों के अनुकूल बनाया जाए। गांवों के उजड़ने की कीमत पर उन सभी ग्रामीणों के उत्थान के लिए विशेष योजना बनें साथ ही बाजार भाव से जमीनों के मुआवजे के भुगतान की व्यवस्था की जाए।

14- जीएम सरसों जो कि मानव व पर्यावरण के साथ-साथ मधुमक्खी पालन के लिए खतरनाक है। जीएम सरसों को देश व प्रदेश में पूर्णतः प्रतिबन्धित किया जाए। आदि किसानों की मांगे है।

इस मौके पर यह रहे मौजूद

जिला अध्यक्ष बिजेंद्र चौधरी,जिला प्रभारी जयकुमार मालिक,युवा एन सीआर अध्यक्ष राहुल यादव,विनीत त्यागी,बाबा परमेन्द्र चौधरी,महबूब अली,जिला उपाध्यक्ष अब्दुल चौधरी,पवन चौधरी (लाल राम बापू), धर्मेंद्र कुमार उर्फ पप्पी नेहरा,रसूल आलम ,रेशमा, ब्रह्मपाल चौधरी,ममता चौधरी,लोनी तहसील अध्यक्ष रेनू चौधरी कृष्णपाल चौधरी,पवन चौधरी दुहाई,राम अवतार त्यागी,सतेंद्र तेवतिया,राजेन्द्र चौधरी, महेंद्र चौधरी,शिवा चौधरी,शहजाद अली,जाहिद,हारून,सलीम,शमसुद्दीन,आरिफ,फिरोज,हाजी सलीम कलछिना,रवि गदाना, सुभाष यादव मौजीराम आदि मौजूद रहे।

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