नीरज चोपड़ा के नाम पर देशभर में पहली जेवलिन थ्रो डे मनाया गया

पानीपत… (सन्नी कथूरिया)। पानीपत के एक गांव का युवा आज करोड़ों लोगों के दिल पर छा गया है। टोक्यो ओलंपिक में देश के लिए जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में गोल्ड और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा के नाम पर देशभर में पहली जेवलिन थ्रो डे मनाया गया। हरियाणा के पानीपत जिले के छोटे से गांव खंडरा में जहां नीरज पहले अकेले ही भाला फेंक गेम के खिलाड़ी थे। आज उसी अकेले गांव से सैकड़ों युवा भाला फेंक गेम का अभ्यास कर रहे हैं। नीरज के टोक्यो ओलंपिक गेम में गोल्ड मेडल जीतने के बाद इस गेम को नई पहचान मिली है। अब इस गेम में लगातार खिलाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है। गांव से लेकर शहर में लड़के व लड़कियां भाला फेंकने का अभ्यास कर रही हैं। पिछले साल पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में हुई जिलास्तरीय भाला फेंक प्रतियोगिता में 250 से ज्यादा खिलाड़ियों ने शिरकत की। इससे आयोजक भी हैरत में थे। नीरज की चचेरी बहन नैंसी ने भी पदक जीता था। इसके अलावा कई प्रतिभावान खिलाड़ी सामने आए।

नीरज के मेडल जीतने के बाद एक प्ररेणा सी जगी है

जानकारी देते हुए नीरज के चाचा भीम चोपड़ा ने बताया कि 7 अगस्त का दिन खास दिन है। क्योंकि यह दिन जेवलिन थ्रो डे के रुप में मनाया जा रहा है। करनाल में आयोजित राज्य स्तरीय जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में हमें बतौर मुख्य अतिथि बुलाया है। हमारे गांव से रोजाना 70 बच्चे जेवलिन थ्रो के अभ्यास के लिए बाहर जाने लगे हैं। नीरज के मेडल जीतने के बाद एक प्ररेणा सी जगी है। इन बच्चों में से करीब तीन बच्चे राज्य स्तरीय भी खेल चुके हैं। बच्चों के अलग ही उत्साह है। पिछले करीब 3 साल से हरेंद्र गाहल्याण जिन्हें मोंटू कहते हैं, वह बच्चों को बहुत अच्छी कोचिंग दे रहे हैं।

नीरज चोपड़ा के गांव से ही जेवलिन थ्रो खिलाड़ी दीपिका ने बताया कि आज इस खेल को हर युवा जानता है यह सब गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के कारण है क्योंकि उनसे पहले इस खेल के बारे में किसी को पता तक नहीं था। आज उनके नक्शे कदम पर चलते हुए गांव के सैकड़ों युवा इस खेल को खेलने में रुचि ले रहे हैं दीपिका ने बताया कि वह भी स्टेट लेवल तक जेवलिन थ्रो के खेल खेल चुकी है।

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