सिंगारा सिंह के ढाबे पर हर चीज में मक्खन खाने के बाद फ्री पिलाते छाछ

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Yamunanagar News : सिंगारा सिंह के ढाबे पर हर चीज में मक्खन खाने के बाद फ्री पिलाते छाछ

60 रुपए में भरपेट खाना खिलाते हैं, गरीबों से पैसे नहीं लेते कहते हैं- कोई भूखा नहीं रहना चाहिए | Yamunanagar News

खिजराबाद (सच कहूं/राजेन्द्र कुमार)। Khizrabad News: 50 साल के सिंगारा सिंह हरियाणा में यमुनानगर जिले के किशन पुरा गांव में अपना ढाबा चलाते हैं। कहते हैं कि जब तक थक नहीं जाता, लोगों को खाना खिलाना चाहता हूूं। ढाबे पर सुबह से भीड़ उमड़ने लगती है और वह इसलिए कि सिंगारा सिंह पिछले 12 सालों से बहुत की कम पैसे में लोगों को भरपेट खाना खिलाते आ रहे हैं। इतना ही नहीं, जिनके पास पैसे नहीं होते, वे यहां मुफ्त में भी खा सकते हैं। 50 साल के हो चुके सिंगारा सिंह अकेले ही ढाबा चला रहे हैं। ढाबे पर रोजाना 60 से 100 लोग आते हैं।

कोई 10 रुपए भी दे तो खुशी-खुशी ले लेते हैं | Yamunanagar News

कुरुक्षेत्र जिले के बकाली गांव के रहने वाले हैं और 12 सालों से यमुनानगर जिले में बने ढाबे पर ही रह रहे है। आज भी उनके पास किराए का ढाबा है,लेकिन इसका नाम आज बहुत बड़ा हो चुका है, यानी फेमस। वैसे तो खाने की पूरी थाली का रेट 60 रुपए है, लेकिन यह सिर्फ नाम का है। अगर किसी के पास कम हों तो वह 10 या 20 रुपए भी दे सकता है और सिंगारा सिंह खुशी-खुशी ये पैसे ले लेते हैं। जिनके पास बिल्कुल भी पैसे न हों तो वे मुफ्त में भी खा सकते हैं।

तीन स्वादिष्ट सब्जियां, रोटी, पराठा, दाल, सब्जी,मिक्स सब्जी, पापड़ और यहां तक कि लस्सी में भी भर-भरकर मक्खन

सिंगारा सिंह बताते हैं कि अपनी थाली का रेट 60 रुपए उन्होंने इसलिए रखा है, जिससे खर्च निकल सके। इसी के चलते तो वे आज तक किराए के ढाबे में ही रह रहे हैं। सिंगारा सिंह की जिंदगी का मकसद सिर्फ गरीब लोगों को पेट भरने का है। इतना ही नहीं, उनकी थाली में तीन स्वादिष्ट सब्जियां, पराठा रोटी,दाल,मिक्स सब्जी,आलू तो कभी भिंडी पापड़ और छाछ भी शामिल रहता है। जबकि, आज के समय में एक सामान्य होटल में भी इतने खाने का रेट कम से कम 100 रुपए तो होता ही है। उनका ढाबा जिस जगह है, उसके आसपास गांवों में गरीब लोग रहते हैं इसलिए रोजाना 5 से लोग 10यहां पेट भरने चले आते हैं। Yamunanagar News

इनके लिए सबसे बड़ी बात है सिंगारा सिंह का स्वभाव और उनका गरीब लोगों के प्रति प्यार। वो कहते हैं कि उनके यहां आया व्यक्ति भूखा नहीं जाना चाहिए। चाहे उसके पास कम पैसे हों या बिल्कुल भी न हों। सिंगारा के परिवार में दो बेटे है, जिनकी शादी हो चुकी है वह गांव में ही रहते है।ढाबे पर सिंगारा सिंह के साथ उनके दोस्त भी हाथ बंटाते है।

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