केरल, बिहार के पूर्व राज्यपाल भाटिया का कोरोना संक्रमण से निधन

RL Bhatia

अमृतसर (सच कहूँ न्यूज)। केरल और बिहार के पूर्व राज्यपाल आरएल भाटिया का कोरोना संक्रमण से शनिवार को यहां निधन हो गया। वह 100 साल के थे। भाटिया पिछले कुछ समय से बीमार थे और कोरोना से संक्रमित होने के पश्चात वह अमृतसर के एक निजी अस्पताल में दाखिल थे जहां आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। अमृतसर से छह बार सांसद चुने गए भाटिया 23 जून 2004 से 10 जुलाई 2008 तक वह केरल और 10 जुलाई 2008 से लेकर 28 जून 2009 तक बिहार के राज्यपाल रहे। वह 1992 में पीवी नरसिम्हा की सरकार में विदेश राज्यमंत्री रहे। आप्रेशन ब्लू स्टार के बाद चुनाव में कई फेरबदल हुए केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा चार साल पूरे होने पर गरीबी हटाओ के नारे पर चुनाव करवाए गए थे। उस समय अमृतसर म्युनिसिपल कमेटी के तत्कालीन मुखिया दुर्गा दास भाटिया ने कांग्रेस के टिकट पर अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। दुर्गा दास भाटिया का एक साल बाद ही निधन हो गया।

दुर्गा दास भाटिया के निधन के बाद कांग्रेस ने उनके भाई रघुनंदन लाल भाटिया को उपचुनाव में मैदान में उतारा। भाटिया ने यज्ञ दत्त शर्मा को हराया। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में तत्कालीन जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ. बलदेव प्रकाश ने रघुनंदन लाल भाटिया को मात दी। 1980 के लोकसभा चुनाव में रघुनंदन लाल भाटिया ने भाजपा के डॉ. बलदेव प्रकाश को शिकस्त दी। 1984 में आॅपरेशन ब्लूस्टार और दिल्ली दंगों के बावजूद रघुनंदन लाल भाटिया चुनाव जीत गए थे। 1989 चुनाव के दौरान प्रदेश में आतंक की काली परछाई बहुत गहरी थी, तब चीफ खालसा दीवान के तत्कालीन प्रधान किरपाल सिंह बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान में उतरे और आरएल भाटिया को हराया। 1991 और 1996 के चुनाव में भी भाटिया को जीत मिली। अमृतसर से 1952 में ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर पहले जट सिख उम्मीदवार थे।

इसके लगभग 31 साल बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक शहरी सिख दया सिंह सोढ़ी को चुनाव मैदान में उतारा। सोढ़ी ने आरएल भाटिया के वर्चस्व को तोड़ते हुए यह सीट जीती। 1999 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब प्रदेश में अकाली-भाजपा की सरकार थी, तब दया सिंह सोढ़ी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की कार्यप्रणाली पर बयान दिए। सोढ़ी उस चुनाव में नहीं जीत पाए। लंबे समय तक चले भाटिया के एकछत्र राज को नवजोत सिंह सिद्धू ने ध्वस्त किया था। भारतीय जतना पार्टी के टिकट पर सिद्धू ने 2004, उपचुनाव 2007 व 2009 तक लगातार जीत दर्ज करते हुए हैट्रिक बनाई थी।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।