फंगस ने बिगाड़ा ग्वार का समीकरण, उत्पादन नामात्र

सफेद सोने की चुगाई में जुटे कृषक

ओढां। (सच कहूँ/राजू) सफेद सोना माने जाने वाली नरमे की फसल की चुगाई का कार्य शुरू होने के साथ ही खेतों में कार्य बढ़ गया है। चुगाई के साथ-साथ ग्वार के कटान ने भी जोर पकड़ लिया है। विगत वर्ष की अपेक्षा इस बार नरमा व ग्वार की फसल काफी कमजोर है। इस बार गर्मी की वजह से फसल नष्ट होने के चलते किसानों द्वारा कई-कई बार बिजाई करने के बावजूद भी सफलता हाथ नहीं लगी। अधिकांश जगहों पर तो गुलाबी सुंडी व सफेद मच्छर के प्रकोप के चलते निराश किसानों ने फसल पर हल भी चला दिया। अधिक समय तक सफेद मच्छर का प्रकोप बरकरार रहने के चलते नरमे के पौधे का न केवल कद रुक गया बल्कि पौधा काला पड़ने से उत्पादन पर भी काफी विपरीत असर देखा जा रहा है।

नुहियांवाली के किसान चेतराम दादरवाल, आसाराम नेहरा, दलीप नेहरा, लाधूराम गढ़वाल, सुल्तान देमीवाल व सुनील सहारण ने बताया कि इस बार फसल विगत वर्ष की अपेक्षा बेहद कमजोर है। ग्वार की फसल तो नामात्र ही है। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष नरमे की फसल करीब 30 मण प्रति एकड़ के हिसाब से हुई थी। लेकिन इस बार मात्र 7 से 10 मण की ही औसत पड़ेगी। वहीं ग्वार भी औसतन 15 से 17 मण था। लेकिन इस बार ग्वार मात्र 3 से 6 मण ही है। पहले तो गर्मी अधिक रही और फिर बरसात अधिक होने के चलते फंगस का प्रकोप रहा। जिसके चलते स्थिति ये है कि लागत खर्च भी नहीं हाथ आएगा।

यह भी पढ़े:- नेपाल में बादल फटा, उत्तराखंड के गांव में पानी घुसा, महिला की मौत, 50 मकान डूबे

विगत वर्ष की अपेक्षा इस बार फसल कमजोर है। जिसका कारण ये कि एक तो जो बीटी बीज आया था उसके पौधे का पूरा कद नहीं। दूसरा किसानों ने विगत वर्ष सुंडी के प्रकोप की वजह से इस बार गुजरात का बिना बिल का बीज ज्यादा इस्तेमाल किया। जिसके कारण उन पौधों में बीमारी का अधिक प्रकोप हुआ और समय से पूर्व ही पौधे तैयार हो चुके हैं। जिसके वजह से पैदावार कम होगी। इसके अलावा मौसम प्रतिकूल रहा। बरसात लगातार हुई, जोकि आवश्यक्ता से अधिक थी। अभी पिछले करीब 2 सप्ताह से मौसम में अधिक गर्मी है। जिसकी वजह से भी उत्पादन पर विपरीत असर पड़ना स्वाभाविक है।
रमेश सहु, सहायक तकनीक अधिकारी (कृषि विभाग ओढां)।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।