Water Evacuation: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा व पहाड़ी क्षेत्रों में जलभराव या बाढ़ के हालात दुखद ही नहीं, बल्कि चिंताजनक भी हैं। पिछले कुछ दिनों से देश भर के कई हिस्सों में भारी बारिश के चलते मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एहतियात के तौर पर सभी राज्यों के निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का अभियान जारी है और जिन इलाकों की ओर पानी बढ़ने की आशंका है, वहां से भी लोगों को हटाने की कवायद चल रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोगों को प्रशासन के निर्देशों के अनुरूप ही चलना चाहिए और किसी भी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहिए।
जल निकासी का सिस्टम बाढ़ व बारिश के पानी के सामने लाचार नजर आ रहा है। बाढ़ आने पर हर बार पानी को रोकने व तटबंध बनाने की चर्चा यूं ही होती है, लेकिन चिंता की बात है कि जल निकासी का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका। किसी ने इस बात की जिम्मेदारी लेने की कोशिश नहीं की कि समय रहते ड्रेनेज व सीवर लाइन को अतिवृष्टि से मुकाबले के लिए क्यों तैयार नहीं किया गया है। वहीं कभी नहीं सोचा गया कि यदि नदी में पांच दशक बाद बाढ़ आएगी तो अतिरिक्त जल निकासी का कोई कारगर तंत्र तैयार किया जाए।
दरअसल, पानी का स्वभाव है कि वह ऊंचे स्थान से नीचे की तरफ बहता है। निचले स्थानों पर कंक्रीट के जंगल उग आए हैं। जिन विभागों की जिम्मेदारी इनकी निगरानी करना था, वे आंखें मूंदे बैठे रहते हैं। ऐसे में अब समझ में आने लगा है कि देश और धरती के लिए नदियां और बरसाती नाले क्यों जरूरी हैं। यदि छोटी नदियों में पानी कम होगा तो बड़ी नदियों में भी पानी कम रहेगा। यदि छोटी नदी में गंदगी या प्रदूषण होगा तो वह बड़ी नदी को प्रभावित करेगा। बरसाती नाले अचानक आई बारिश की असीम जलनिधि को अपने में समेट कर समाज को डूबने से बचाते हैं।
ऐसे में छोटी नदियां बाढ़ से बचाव के साथ-साथ धरती के तापमान को नियंत्रित रखने, मिट्टी की नमी बनाए रखने और हरियाली के संरक्षण के लिए अनिवार्य हैं। साथ ही, नदी तट से अतिक्रमण हटाने, उसमें से बालू-रेत उत्खनन को नियंत्रित करने, नदी की गहराई के लिए उसकी समय-समय पर सफाई से इन नदियों को बचाया जा सकता है। यही तंत्र एक तरह से मानो प्राकृतिक निकासी सिस्टम भी साबित हो सकता है। जल निकासी की वैज्ञानिक तरीके से व्यवस्था नहीं की गई तो जलभराव का संकट लगातार गहरा होता जायेगा। हमें बिना देरी किए जल निकासी के लिए नई रणनीति पर गंभीरता से विचार कर उसे धरातल पर उतारना चाहिए।
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