स्वास्थ्य ढांचा व कालाबाजारी

Coronavirus in India

बीते दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने राज्य के प्राईवेट अस्पतालों को सख्त चेतावनी दी थी कि अगर वह कोरोना मरीजों का ईलाज करने से मना करते हैं तो अस्पतालों पर ताले जड़े जाएंगे। यह हाल अन्य राज्यों का भी है, जहां मरीजों की लूट भी हो रही है और मरीजों के साथ बदस्लूकी भी की जा रही है। पटना हाईकोर्ट भी निजी अस्पतालों को ऐसी चेतावनी दे चुका है। हद तो तब हो गई जब कोलकाता के एक निजी अस्पताल ने एक मरीज का 36 घंटों के लिए ही 12 लाख रूपये का बिल बना दिया। बीते दिनों पंजाब के बठिंडा जिले में उस समय हद हो गई जब एक मृतक मरीज की कोरोना रिपोर्ट आने से पहले डॉक्टर परिवार को शव ले जाने पर नॉर्मल अंतिम संस्कार करने के लिए कहने लगे।

मृतक के वारिस जागरूक व जिम्मेवार नागरिक थे, जिन्होंने दुहाई दी कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है तो वह बिना प्रोटोकोल के शव का अंतिम संस्कार कैसे करेंगे? फिर भी डॉक्टर उनको शव किसी अन्य अस्पताल में लेकर जाने के लिए कहने लगे। यह तो एक घटना है पता नहीं ऐसी कितनी घटनएं प्रतिदिन घट रही हैं। लेकिन पहले ही अपने सदस्य की मौत से परेशान परिजन सबकुछ चुपचाप सहने को मजबूर हैं। यह नहीं कि सभी निजी अस्पताल एक जैसे ही हैं कुछ ऐसे अस्पताल भी हैं जहां डॉक्टरों व प्रबंधकों की तरफ से मरीजों व परिजनों के साथ पूरी हमदर्दी दिखाई जा रही है लेकिन सरकार के पास निजी अस्पतालों की काफी शिकायतें प्रतिदिन आ रही हैं। सरकार को ऐसी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है।

दरअसल महामारी बेहद मुसीबत का समय है, जहां डॉक्टरों का अच्छा व्यवहार मरीजों व उनके परिजनों को सहारा दे सकता है। सच्चाई, प्यार, सहयोग व हमदर्दी यह सबसे बड़े गुण हैं, जिनसे मरीजों को बीमारी से लड़ने का हौसला मिल सकता है। मरीजों के साथ बुरा व्यवहार व उनकी लूट करना गैर कानूनी है। भारतीय संस्कृति की विशेषता ही इस बात में है कि यहां मुसीबत में फंसे इन्सान का साथ देना धर्म माना गया है। फिर डॉक्टरी पेशा तो और भी पवित्र है। लोग डॉक्टर को दूसरा भगवान मानते हैं। इसलिए जरूरी है कि महामारी में पैसा कमाने के लालच को छोड़कर इन्सानियत की सेवा को अपनाया जाए।

 

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