समाज के मानसिक विकास पर हो काम
देश को बदलते परिवेश में महिलाओं के प्रति व्यवहार कला सिखाने व पढ़ाने के लिए संस्थागत रूप से प्रयास करने होंगे। पुरूष व महिलाएं समान हैं, कोई किसी का उत्पीड़न या अपमान नहीं कर सकता। यह अच्छी तरह पढ़ाया व सिखाया जाए कि वह कौन सी आदतें या व्यवहार हैं जो सामान्य दिखने पर भी अपमानजनक, हिंसक, उत्पीड़त करने वाले हैं।
देशवासी अपने आपको मुर्गी न समझें, क्या समझें?
जिस देश में सरकार व बैंकर्स ने देश के ईमानदार करदाताओं व बचतकर्ताओं का मजाक बनाकर रख दिया हो तब उस देश में नागरिक अपने आपको एक मुर्गी से ज्यादा समझें भी तो क्या समझें? क्योंकि कभी कर्ज लेकर उद्योगपति भाग जाते हैं, कभी पूरा बैंक ही धराशायी हो जाता है।
अयोध्या पर पाक की बदनियत
कई मुस्लिम संस्थाओं ने मंदिर निर्माण में सहयोग करने की भी पेशकश की है।
भारत के हिंदू-मुस्लमानों ने इस निर्णय के बाद जो सौहार्द दिखाया है

























