जोंक से उपचार की विधि ‘जलौकावचारण’
आपने अकसर देखा होगा कि नमक को खुले में रखने से कुछ दिन के बाद वो चिपचिपा हो जाता है और इसी हाल में रहने पर पूरी तरह से पिघल जाता हैं। ये ऐसा इसलिए होता है कि नमक हवा से नमी (हवा में घुली पानी की भाप) सोख लेता हैं। जब तक नमक में नमी की मात्रा कम रहती ...
प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है
लिहाजा आज का दिन भारत के लिए बेहद खुशी का दिन है। अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में लगाने वाली मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य में हुआ था। 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टैरेसा की मृत्यु हुई थी। जिन्हें स...
पानी में खून की एक-एक बूंद सूंघ सकती है ‘शार्क’
शार्क की सुनने की शक्ति उत्कृष्ठ होती है। वे 500 मीटर दूर पानी में कूदती हुई मछली की आवाज सुन सकती है। यदि एक शार्क को एक बड़े स्विमिंग पूल में डाल दिया जाता है, तो वह पानी में खून की एक-एक बूंद को सूंघ सकती है। हालांकि शार्क की अधिकांश प्रजातियां एक ...
झील का चांद
तुम्हारा मन इस झील की तरह है। तम्हारे पास ज्ञान तो है लेकिन तुम उसका प्रयोग करने के बजाय सिर्फ उसे अपने मन में लेकर बैठे हो, ठीक उसी तरह जैसे झील असली चांद का प्रतिबिंब लेकर बैठी है।
अंतरिक्ष में सैर करने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री
कॅथ्रीन डॉयर सुलिवन का जन्म 3 अक्टूबर 1951 को हुआ था। वह अमेरिकन भूविज्ञानी और नासा की अंतरिक्ष यात्री थी। उनका जन्म न्यू जर्सी के पैटरसन शहर में हुआ था। उन्होंने 1949 में अपनी ग्रेजुएशन कैलिफोर्निया के वुडलैंड हिल्स जिले के विलियम होवार्ड टाफ्ट हाई ...
नर मृग के पेट में पैदा होती है कस्तूरी
कस्तूरी मृग को 'हिमायलन मस्क डियर' के नाम से भी जाना जाता है। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम 'मास्कस क्राइसोगास्त' है। अपनी आकर्षक खूबसूरती के साथ यह जीव नाभि से निकलने वाली अप्रतिम खुशबू के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। इस मृग की नाभि में गाढ़ा तरल (कस्तूर...
विज्ञान के क्षेत्र में महान योगदान रहा वेंकट रमन का
दक्षिण भारत के त्रिचुनापल्ली में पिता चंद्रशेखर अय्यर व माता पार्वती अम्मा के घर में 7 नवंबर 1888 को जन्मे भौतिक शास्त्री चंद्रशेखर वेंकट रमन उनके माता-पिता के दूसरे नंबर की संतान थे। उनके पिता चंद्रशेखर अय्यर महाविद्यालय में भौतिक विज्ञान के प्रवक्त...
जुगाड़: कसरत के साथ-साथ गेहूं पिसाई भी
इसके बनने के बाद अब मोहल्ले के लोग भी गेहूं पिसाने के लिए इनके पास आते हैं। इंजीनियर मनदीप तिवारी का कहना है कि हमने एक आटा चक्की बनाई है
मृत्यु के समय इंसान को कितना कष्ट होता है?
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सन् 1960 से 1991 तक बहुत से सत्संग फरमाए और इस बीच सत्संगियों ने समय समय पर पूजनीय परम पिता जी से अनेक प्रश्न पूछे। जो कुछ प्रश्न विभिन्न स्त्रोतों से हमें प्राप्त हु...
रूहानी करिश्मा : जब सच्चे सतगुरू जी मुरीद को स्वयं लेने आए
भक्त जोगिन्द्र सिंह पुत्र स. वीर सिंह निवासी गांव गंधेली ने बताया कि सन् 1958 की बात है। हमारे भाईचारे के बहुत से व्यक्तियों ने पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से नाम-शब्द ले रखा था। पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज ने हमारे भाईचारे के भक्तों को वचन...
परम पिता जी ने डेरा श्रद्धालु की दिली इच्छा की पूरी
एक बार राजस्थान में सत्संग था। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज आराम करने वाले घर में पधारे हुए थे। बाहर बैठे सेवादारों के पास करीब 80 वर्षीय बुजुर्ग अपनी 14-15 साल की पोती के साथ दूध लेकर आ गया। पूछने पर पता चला कि उस बुजुर्ग ने पूज्य हजूर बाबा स...
‘पंजाब का पेरिस’ कहलाता है, बगीचों का शहर कपूरथला
ब्रिटिश काल में भारत की एक बड़ी रियासत रह चुका कपूरथला पंजाब राज्य का एक खूबसूरत शहर है, जिसकी शानदार वास्तुकला को देखते हुए इसे 'पंजाब का पेरिस' भी कहा जाता है। शहर में मौजूद प्राचीन संरचनाएं और गार्डन इंडो-सारसेन और फ्रेंच वास्तुकला के अनूठे उदाहरण ...
सतगुरू के प्रेम में गांव-गांव नाचता रहा असली रांझा
प्रेमी रांझा राम लिखते हैं कि उसकी पत्नि ने बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से नाम शब्द प्राप्त किया हुआ था। शुरू-शुरू में वह उसे सत्संग में जाने नहीं देता था। वह छिप-छिप कर सत्संग में जाती थी।एक दिन उसने बेपरवाह जी के सामने उसकी शिकायत करते हुए उपरोक्...
संतोषी सदा सुखी
एक महात्मा भिक्षा के लिए एक किसान के द्वार पर पहुँचे, तो उन्होंने खिड़की से देखा कि पूरा परिवार चिंताग्रस्त मुद्रा में बैठा है। महात्मा ने उनकी चिंता का कारण पूछा। किसान ने बताया, ‘हमारे यहाँ इस बार फसल थोड़ी कम हुई है, अन्न इतना भर है कि आठ माह के लिए...
अगस्त प्रस्ताव के खिलाफ गांधी जी का निजी सत्याग्रह
व्यक्तिगत सत्याग्रह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा सन 1940 में प्रारम्भ किया गया था। लिनलिथगो प्रस्ताव/अगस्त प्रस्ताव से गांधीजी संतुष्ट नहीं होने के कारण कांग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव को पूर्णत: अस्वीकार कर दिया तथा गांधी जी के नेतृत्व में व्यक्तिगत ...