साईं जी ने जात-पात का भेद मिटाया

Incarnation Day, shah Mastana Ji Maharaj, Dera Sacha Sauda, Gurmeet Ram Rahim

एक बार आप जी नोहर से लालपुरा की तरफ जीप में सवार होकर जा रहे थे। उन दिनों वह रास्ता कच्चा था। रोड़ के आसपास बड़े-बड़े टीले थे। रास्ते में आपजी ने जीप को रूकवाया व पानी पीने की इच्छा जताई। वैसे तो सेवादार हर समय पानी अपने साथ रखते थे। लेकिन उस समय उनके पास पानी नहीं था। वह अपने साथ पानी लेकर आना भूल गए थे। सेवादारों ने खेतों में ईधर-उधर देखा । वहीं नजदीक ही थोड़ी दूरी पर एक बुजुर्ग महिला घास काट रही थी। एक सेवादार ने जाकर बुजुर्ग महिला से पानी के लिए विनती की।

बुजुर्ग को जब पता चला कि कोई संत महात्मा पानी मांग रहा है तो वह पानी की सुराही लेकर खुद चलकर आप जी के पास आई व सम्मानपूर्वक कहा, ‘‘हे! सांर्इं आप हमारा पानी पी लोगे? हम तो नीची जाति के लोग हैं।’’ बुजुर्ग महिला के प्रेम को देखते हुए आपजी ने उस महिला को समझाया कि कोई ऊंच-नीच नहीं है, हम सब एक समान हैं। बेपरवाह जी ने बिना किसी संकोच के उस महिला से पानी पी लिया। यह देखकर वह बुजुर्ग महिला बहुत ही खुश हुई।  उस समय आप जी ने ‘एक पंथ दो काज’ वाला उदाहरण पेश किया। उस समय आपजी के साथ एक ऐसा भगत था, जो जात-पात के भेदभाव को अभी भी मानता था। एक तो आप जी ने उस आदमी के मन में से जाति, भेद की भावना निकाली, दूसरा उस बुजुर्ग म्हिला की किस्मत बनाई।

 

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