जेएनयू: शिक्षा की आड़ में पनप रही देशविरोधी संस्कृति
जेएनयू छात्रों ने हिस्सा लिया।
इसके अलावा, इन तत्वों ने 2010 में दंतेवाडा में सीआरपीएफ के 74 जवानों की हत्या पर जश्न भी मनाया था।
आर्थिक विशेषज्ञों की बात को महत्व दे सरकार
कुछ भी हो सरकार को अपने अहं को त्यागकर डॉ. मनमोहन सिंह
में जैसे धुरंधर अर्थशास्त्रियों की बात को महत्व देना चाहिए।
कानून और व्यवस्था का टकराव: तूं कौन, मैं ख्वामख्वाह?
जनता कानून और व्यवस्था के स्तंभों से उत्तरदायित्व और जवाबदेही की मांग कर रही है।
हमारा लक्ष्य कानून का शासन लागू करना और राज्य का इकबाल बनाए रखना होना चाहिए।
सर्वोच्च निर्णय के बावजूद सियासत जारी
सूक्ष्म अध्ययन के बाद ही निर्णय को लिखा है।
निर्णय आने के बाद देशभर से इसकी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं सुनने, देखने और पढ़ने को मिली।
लोकतंत्र की मजबूती में प्रेस की भूमिका
वहीं अब दो पायदान और नीचे खिसककर 140वें पायदान पर पहुंच गया है।
निसंदेह प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में यह गिरावट स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
अयोध्या पर पाक की बदनियत
कई मुस्लिम संस्थाओं ने मंदिर निर्माण में सहयोग करने की भी पेशकश की है।
भारत के हिंदू-मुस्लमानों ने इस निर्णय के बाद जो सौहार्द दिखाया है
आरटीआई के दायरे में मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर
कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने वाला फैसला एक जरूरी संदेश भी दे रहा है
पराली पर पंजाब की सराहनीय पहल
आखिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पंजाब सरकार ने पराली न जलाने वाले किसानों को वित्तीय मदद देने की घोषणा करते हुए इस समस्या को सुलझाने की पहल की है। प्रदेश सरकार पांच एकड़ तक की जमीन के मालिक किसानों को 2500 रुपए देगी। भले ही यह रकम बहुत कम है फिर भ...
महाराष्ट्र की हलचल से प्रभावित होगी गठबंधन की राजनीति
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के गठबंधन में जो कुछ हुआ उसे सारे देश ने देखा। शिवसेना को कुर्सी की चाहत और महत्वाकांक्षा के चलते गठबंधन तार-तार हो गया। जबकि लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने मिलकर अच्छी खासी सीटें बटोरी थी। दोनों दल पिछले ...
ब्रिक्स: आपसी हितों का प्रभावी मंच
वैश्विक स्तर पर वित्तीय मामलों में परामर्श देने वाली संस्था गोल्डमैन शश के प्रमुख कार्यकारी निदेशक जिम-ओ-नील ने 2001 में अपने एक लेख में लिखा था कि ब्राजील, रूस, भारत और चीन (बीआरआईसी) की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत होगी कि साल 2050 तक यह देश दुनिया के आ...
जलवायु आपातकाल और भारत
जो प्रदूषण का बड़ा कारण है। ई-वाहनों को बढ़ावा देने के दावे कमजोर साबित हो रहे हैं।
इन हालातों में विकास और प्रदूषण को अलग-अलग रखना सबसे बड़ी समस्या है
लोकतंत्र लोक-सुख का है या लोक-दु:ख का?
यह शासन की असफलता का द्योतक हैं।
डॉक्टर, सीए, वकील, एमबीए, ऐसी न जाने कितनी उच्च डिग्रीधारी युवा पेट भरने के लिये
मजदूरी या ऐसे ही छोटे-मोटे कामों के लिये विवश हो रहे हैं
राजनीतिक भ्रष्टाचार पर शिकंजा
लोग परेशान होकर नोटबंदी के चलते लाइनों में खड़े रहे
और किसी एक भी बैंक कर्मी के साथ दुव्यर्वहार की कोई बड़ी घटना नहीं घटी
और दूसरी तरफ शशिकला जैसी राजनीतिक नेता गैर-कानूनी काम में जुटी रही।
अपनो के निशाने पर गहलोत सरकार
इससे गांवों के लोगों को आवागमन के साधनों की कमी महसूस होने लगी है।
प्रदेश सरकार के इन फैसलों का सीधा असर गांव के गरीब, किसान, मजदूरों पर पड़ रहा है
। प्रदेश में खनन माफिया पुलिस, प्रशासन पर भारी पड़ रहा है
आसमान में तबाही और जमीन पर सियासत
यह है कि प्रदूषण को लेकर केन्द्र और दिल्ली की राज्य
सरकार के बीच भी ठनी हुई है।
विजय गोयल जो बीजेपी के कद्दावर नेता हैं