सार्थक प्रयासों से ही बचेंगी बेटियां
पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बेटियों के वास्ते कई मुहिमें चलाई हैं जिनमें ‘कुल का क्राउन' के द्वारा रूढ़िवादी विचारधारा को बदलने का बीड़ा उठाया गया है। इस मुहिम के तहत अब बेटी से भी वंश चलने लगा है। आमतौर पर वंश चलाने का जिम्मा बेटों पर ही था।
प्रेरणास्त्रोत : चीन का राजा
वो अपना दु:ख लिखकर दूसरे दिन संत के पास पहुँचा। उसने अपने दु:ख का कागज, संत को दिया। संत के पास लोग अपने-अपने दु:खों के लिखे हुए कई कागज छोड़ गये थे। संत ने उस व्यक्ति से कहा, तुम अपना कागज रखकर कोई दूसरा कागज, जिसमें ‘‘दु:ख’’ कम हो, वो अपने साथ ले जाओ। उसने कई कागज पढ़ें पर उसे किसी का भी दु:ख समझ में नहीं आया।
बेनजीता रही मेड्रिड जलवायु वार्ता
आइपीसीसी के आंकलन के मुताबिक 21 सवीं सदी में पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में 1.1 से 2.9 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी होने की आशंका है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने वायु में मौजूद आॅक्सीजन और कार्बन डाईआॅक्साइड के अनुपात पर एक शोध में पाया है
महंगाई अब मुद्दा ही नहीं रही
चाहे पिछले सालों की तुलना में संसद के कामकाज के आंकड़े अच्छे दिखते हैं लेकिन एक स्वस्थ, तार्किक, मुद्दों पर आधारित बहस लगभग गायब सी हो गई है और उसकी जगह मुद्दाविहिन, अतार्किक बहस ने ले लिया है। राजनीति के सिद्धांत खत्म होते जा रहे हैं। सत्ता हासिल करना ही आज एकमात्र सिद्धांत रह गया है।
प्रेरणास्त्रोत: गुरु नानक की करुणा
सेठ ने आश्चर्य का पार न रहा। हाथ जोड़कर बोला- ‘‘गुरुदेव! आप क्या कह रहे हैं?
परलोक में तो मनुष्य कुछ भी नहीं ले जा सकता। सब यहीं का यहीं धरा रह जाता है।’’
प्रेरणास्त्रोत: कर्ण की नैतिकता
दूसरा अनैतिक तरह से विजय प्राप्त करना मेरे संस्कारों में नहीं है।
यदि मैं अर्जुन को हराने में सफलता प्राप्त करूंगा तो नैतिक प्रयत्नों से, अनैतिक तरह से नहीं।
खुशी भरने वाला हो हर कर्म
अब सवाल यह है कि विनाश की ओर बढ़ रहे समय में कोई पल उत्सव कैसे हो सकता है?
अत: प्रत्येक जन को सृजन व संरक्षण के लिए संकल्प लेना होगा।
आर्थिक मोर्चे पर नया साल चुनौतीपूर्ण
साथ ही संस्थानों और संगठनों को मजबत कर विकास की प्रक्रिया में तेजी लायी जा सकती है अैर यह जिम्मेदारी सत्तारूढ़ राजनीतिक दल की है कि वह सामाजिक, आथिर्क विकास सुनिश्चित करे और ऐसा बदलाव लाए जिससे देश में गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की स्थिति में सुधार हो क्योंकि बढ़ती विषमता सतत और संतुलित विकास के मार्ग में अड़चन बनती जा रही है।
धुंध से दुर्घटनाओं का कहर
नहरों और माइनरों के असंख्य पुल टूटे हुए हैं।
खास करके ग्रामीण क्षेत्र में पुलों की टूटी हुई रैलिंग की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता।


























