खुशी भरने वाला हो हर कर्म

HAPPY-NEW-YEAR

नववर्ष का आगाज कड़ाके की ठंड के साथ शुरू हो रहा है। पिछली रात दुनिया भर ने जमकर जश्न मनाया और अपने-अपने तरीके से नये साल की शुरूआत की। तिथियों के इस फेरबदल से नये उत्साह का संचार होना अच्छी घटना है। बड़े स्तर पर मानवीय आबादी इस दिन पिछले साल की गलतियों व हानियों को याद करती है और अगले साल में पुरानी गलतियों को नहीं दोहराने व अपने लिए, परिवार के लिए, देश के लिए सबके लिए अच्छे संकल्प जोड़ती है, काफी अच्छा दिन गुजरता है, या यूं कहें कि कई सप्ताह उल्लास में गुजरते हैं।

बुद्धिजीवी इस दिन कई जटिल किन्तु सार्थक हो सकने वाले उद्देश्य गिनते हैं। कई दफा इन उद्देश्यों की गणना के वक्त कुछ भी नया नहीं हो सकने वाली निराशा भी व्यक्त करते हैं और महज कैलेंडर के बदल लेने तक सीमित कर लेते हैं। परंतु समय की बजाय जो लोग जीवन में विश्वास करते हैं वह निश्चित रूप से नया करने के लिए मचल पड़ते हैं। जीवन प्रतिक्षण प्रफुलित होने वाली घटना या अहसास है, स्पष्ट है जब प्रतिपल नया है फिर सैकड़ों दिनों बाद आने वाले एक दिन का कुछ खास औचित्य बखान करना काफी आडम्बरपूर्ण लगने लगता है।

अत: नयेपन के साथ प्रत्येक जन को हर दिन ही उल्लास में जीने की कला को सिद्ध करने के लिए प्रत्यनशील होना चाहिए। अभी दुनिया भर में आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा स्वकेंद्रित उपभोग में जी जा रहा हैं, जिसके कारण पृथ्वी प्रतिपल विनाश के नजदीक पहुंच रही है। अब सवाल यह है कि विनाश की ओर बढ़ रहे समय में कोई पल उत्सव कैसे हो सकता है? अत: प्रत्येक जन को सृजन व संरक्षण के लिए संकल्प लेना होगा। पशु-प्राणी, वनस्पति, मिट्टी, जल, हवा, एवं दरिद्र मनुष्यों की सहायता कर नया साल ताजगी एवं खुशी भरने वाला बने। कर्मशील सभी हैं, लेकिन इस नव वर्ष में हर मनुष्य का कर्म हर प्राणी मात्र के उपकार में लगे। कड़ाके की ठंड में हम हर जीव जन्तु व इन्सान का सहारा बनें और यथासंभव मदद करें ताकि ठंड से किसी से प्राण न जाए।

 

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