महाराष्ट्र में विचित्र सियासी गठबंधन
झूठ और धोखे के इस खेल में भाजपा, राकांपा, शिव सेना और कांग्रेस ने
आज के भारत के सच को उजागर किया है कि सत्ता ही सब कुछ है।
आप यह भी कह सकते हैं कि यही लोकतंत्र है
खंडित जनादेश में नेताओं की सौदेबाजी
महाराष्ट्र में सरकार बनाने में रोड़ा अटकाने के खेल की शुरूआत शिवसेना ने की थी
लेकिन इस रोड़ा अटकाने के खेल में अजीत पवार ने मौके का फायदा उठाया अंत में खेल भाजपा ने खत्म कर दिया।
किसानों की सुध लेने की जरूरत
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कृषि और कृषकों की दशा में सुधार के बिना देश का विकास संभव नहीं है।
अगर इसी तरह किसानों का कृषि क्षेत्र से पलायन होता रहा
चन्दा बॉन्ड के खरीददार क्यों छुपाए जा रहे?
बॉन्डस राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ाने वाले हैं फिर भी
पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने इन्हें स्वीकृति दे दी क्यों?
टेलीकॉम सेक्टर: गहराता संकट और संभावनाएं
एक निश्चित अंतराल में अपनी देनदारियों को अदा कर सकें।
यदि किसी कारण बस इस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा कम होती है
तो निश्चित तौर पर नुक्सान आम आदमी का होने वाला है।
जेएनयू: शिक्षा की आड़ में पनप रही देशविरोधी संस्कृति
जेएनयू छात्रों ने हिस्सा लिया।
इसके अलावा, इन तत्वों ने 2010 में दंतेवाडा में सीआरपीएफ के 74 जवानों की हत्या पर जश्न भी मनाया था।
आर्थिक विशेषज्ञों की बात को महत्व दे सरकार
कुछ भी हो सरकार को अपने अहं को त्यागकर डॉ. मनमोहन सिंह
में जैसे धुरंधर अर्थशास्त्रियों की बात को महत्व देना चाहिए।
कानून और व्यवस्था का टकराव: तूं कौन, मैं ख्वामख्वाह?
जनता कानून और व्यवस्था के स्तंभों से उत्तरदायित्व और जवाबदेही की मांग कर रही है।
हमारा लक्ष्य कानून का शासन लागू करना और राज्य का इकबाल बनाए रखना होना चाहिए।
सर्वोच्च निर्णय के बावजूद सियासत जारी
सूक्ष्म अध्ययन के बाद ही निर्णय को लिखा है।
निर्णय आने के बाद देशभर से इसकी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं सुनने, देखने और पढ़ने को मिली।
लोकतंत्र की मजबूती में प्रेस की भूमिका
वहीं अब दो पायदान और नीचे खिसककर 140वें पायदान पर पहुंच गया है।
निसंदेह प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में यह गिरावट स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।


























