रवीन्द्रनाथ की स्मृति में उम्मीद के उजाले
रवीन्द्रनाथ ठाकुर स्मृति दिवस-
7 अगस्त, 2020 पर विशेष
रवींद्रनाथ ठाकुर एक व्यक्ति नहीं, बल्कि वे धर्म, दर्शन, कला, साहित्य, संगीत और संस्कृति के प्रतिनिधि राष्ट्रपुरुष एवं राष्ट्रनायक थे। उनका संवाद, शैली, साहित्य, साधना, सोच, सपने, संगीत एवं चि...
बरकरार है मलेरिया से निपटने की चुनौती
भारत में मलेरिया से हर वर्ष तकरीबन 660,000 लोगों की जान जाती है। चिकित्सा पत्रिका लासेंट की मानें तो भारत में हर साल दो लाख से अधिक लोगों की मौत मलेरिया से होती है। गौर करें तो यह संख्या विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान से बहुत ज्यादा है। चिकित्सा पत्...
दबाव एवं हिंसा की त्रासदी का शिकार बचपन
बचपन केवल अपने घर में ही नहीं, बल्कि स्कूली परिवेश में बुलीइंग यानी दबाव एवं हिंसा का शिकार है। यह सच है कि इसकी टूटन का परिणाम सिर्फ आज ही नहीं होता, बल्कि युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते यह एक महाबीमारी एवं त्रासदी का रूप ले लेता है। यह केवल भारत की ...
प्रवासी मजदूरों की दास्तां
मई महीने में मौसम में बढ़ रही तपिश, रात को ठहरने का कोई प्रबंध न होना, भूखे पेट रहना मजबूत अर्थव्यवस्था जैसे आदर्शों की सफलता में बड़ी रुकावट है। केन्द्र व राज्य दोनों ही सरकारों को प्रवास से घर लौट रहे मजदूरों की पीड़ाजनक दास्तां देखनी व समझनी चाहिए, इनकी घर वापिसी को तेज, सुखद व सफल बनाना चाहिए।
‘मी-टू’: कौन सच्चा कौन झूठा
भले ही बहुत से आरोप झूठे साबित होंगे, कुछ बलैकमेल करने या मनचाहा काम न हो पाने के चलते भी महिला उत्पीड़न के दोष होंगे लेकिन हाल ही ‘मी-टू’ नाम के इस शब्द ने देश मे इतनी खलबली मचा रखी है जिससे हर जगह भूचाल सा आया हुआ है। बॉलीवुड़ एक्ट्रैस तनुश्री दत्ता ...
पर्यावरण प्रदूषण: सब हमारा किया धरा है
पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस निकल गया। पर्यावरण पर काफी विचार-विमर्श इस दिन किए जाते हैं। बावजूद इसके सदियों से चला आ रहा ऋतुचक्र गड़बड़ाने लगा है। गरमी का प्रकोप हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। ग्लेशियर पिघलने लगे हैं।
ओजोन की परत में छेद हो गया है। विश्व...
पहली बार पांच रत्नों को मिले ‘खेल रत्न’ पुरस्कार
एक जमाना था, जब हम बचपन में सुनते थे, ‘खेलोगे कूदोगे, बनोगे खराब। पढ़ोगे लिखोगे, बनोगे नवाब।’ लेकिन आज खेलों की दुनिया कैरियर को लेकर भी पूरी तरह बदल चुकी है। खेल अब महज खेल नहीं रह गए हैं बल्कि कैरियर का बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहे हैं। विभिन्न खेल स...
जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को समझिए
पृथ्वी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी का तापमान बीते 100 सालों में 1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। पृथ्वी के तापमान में यह परिवर्तन संख्या की दृष्टि से काफी कम हो सकता है, परंतु इस प्रकार के ...
गरीबों और किसानों की परवाह कौन करे?
ऐसे समय पर जब किसान आंदोलन जारी है और संपूर्ण विपक्ष उनका समर्थन कर रहा है, सरकार द्वारा हठधर्मिता अपनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यही नहीं इससे देश के लाखों किसानों को यह संदेश जा रहा है कि सरकार की प्राथमिकता में उनका कोई स्थान नहीं है और इसके बजाय सरकार...
असंवेदनशील सिस्टम, सरकार और समाज
झारखंड के कोडरमा जिले में भुखमरी के कारण हुई एक ग्यारह वर्षीय बच्ची की मौत का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। भोजन के अभाव में हुई बच्ची की मौत ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, सरकारी कार्यशैली और मानवता को कठघरे में ला खड़ा किया है। जनकल्याण पर आ...
बादल साहब हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे
25 अप्रैल की शाम को जब मुझे सरदार प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) जी के निधन की खबर मिली तो मन बहुत दुखी हुआ। उनके निधन से मैंने एक पिता तुल्य व्यक्ति खो दिया है, जिन्होंने दशकों तक मेरा मार्गदर्शन किया। एक प्रकार से देखें तो उन्होंने भारत और...
मुस्लिम दुनिया में खिंच गई तलवारें
इज्ररायल और यूएई के बीच हुए कूटनीतिक समझौते से मुस्लिम दुनिया में तलवारें खिंच गई हैं। मुस्लिम आतंकवादी संगठन, इस्लामिक संगठन, मुस्लिम देश सभी तलवारें भांज रहे हैं। यह कहने से चूक नहीं रहें हैं कि यूएई ने दुनिया के मुसलमानों के साथ धोखा किया है, उस इ...
Water Evacuation: जल निकासी पर बने कारगर नीति
Water Evacuation: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा व पहाड़ी क्षेत्रों में जलभराव या बाढ़ के हालात दुखद ही नहीं, बल्कि चिंताजनक भी हैं। पिछले कुछ दिनों से देश भर के कई हिस्सों में भारी बारिश के चलते मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एहतियात के तौर ...
मीडिया की परीक्षा: विश्वसनीय सूचना महत्वपूर्ण
मीडिया के बारे में उच्चतम न्यायालय की हाल में की गयी टिप्पणी को पत्रकारों को सही परिप्रेक्ष्य में लेना चाहिए। मुख्य न्यायधीश मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा हमें यह कहते हुए खेद है कि कुछ पत्रकार मानते हैं कि वे किसी मंच पर बैठे हुए हैं और कुछ...
‘साधारण होने का गुरूर होना चाहिए’
आप सत्ता-सादगी के बीच कितना अंतर समझते है।
देखिए, मुझे नजदीक से जानने वाले लोग भलीभांति जानते हैं कि मैं जो हूं, वैसा ही रहूंगा। मैं सन 2004 से लेकर 2014 तक लगातार दो बार उड़ीसा विधानसभा का सदस्य रहा हूं। तब भी लोग सोचते थे मैं बदल जाउंगा।...