आलोचनाओं से थम जाएंगे विकास के पहिये !
हर मसले पर राजनीति हमारी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बन चुकी है। वहीं दूसरी ओर ये भी कड़वी सच्चाई है कि हमारे यहां राजनीति में ‘निगेटिव अप्रोच’ का स्तर इतना बढ़ चुका है कि अब उसके दुष्प्रभाव अब खुलकर दिखने लगे हैं। हर मामले में जब तक राजनीति न हो तब तक कथ...
आईए जानते हैं फादर्श-डे की शुरूआत कब और कहां से हुई
फादर्श डे की शुरूआत अमेरिका से हुई थी। बता दें कि आॅफिशियल तरीके से सबसे पहला फदर्स-डे 19 जून 1909 को मनाया गया। इस खास दिन की प्रेरणा साल 1909 में मदर्स डे से मिली थी। वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में सोनोरा डॉड ने अपने पिता की स्मृति में इस दिन की शुरूआ...
विजेन्दर सिंह मुक्केबाज ने जीता पहला ओलंपिक पदक
विजेन्दर सिंह भारत के एक प्रोफेशनल मुक्केबाज हैं। ये भारत के पहले मुक्केबाज हैं, जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता। भारतीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने जूनियर लेवल में बहुत से पुरस्कार जीते। इसके बाद उन्होंने एफ्रो एशियाई गेम्स में स्वर्ण पदक जीता और कॉमनवे...
छोटी सोच के बड़े मसीहा
कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी’। इस पंक्ति का प्रयोग हम अक्सर भारत की विभिन्नताओं को दर्शाने के लिए करते हैं और पूरी दुनिया को ये दिखाने का प्रयास करते हैं कि कैसे हम जाति, धर्म, स्थान विशेष से अलग होने के बावजूद एक ही हैं, पर कहते हैं न कि ‘ह...
‘सबको बिजली’ का पूरा होता सपना
देश के हरेक घर को बिजली के जरिए रोशन करने का स्वप्न अब हकीकत का स्वरुप लेता दिख रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश के 99.92 फीसद परिवारों को बिजली की अत्याधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जा चुका है। अब केवल नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के 19, 836 परिवारों...
असंवेदनशील सिस्टम, सरकार और समाज
झारखंड के कोडरमा जिले में भुखमरी के कारण हुई एक ग्यारह वर्षीय बच्ची की मौत का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। भोजन के अभाव में हुई बच्ची की मौत ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, सरकारी कार्यशैली और मानवता को कठघरे में ला खड़ा किया है। जनकल्याण पर आ...
पैरा-ओलंपिक : खेलो भारत खेलो
पैरालंपिक के लिए 1972 में मुरलीकांत पेटकर ने भारत के लिए पहला पदक जीता था। भारत के ओलंपिक इतिहास पर नजर डालें तो अब तक 24 ओलंपिक खेलों में हम 35 पदक जीत चुके हैं। भारत खेलना चाहता है खेल में सबसे अधिक मौके ग्रामीण इलाकों में है। इस हालात में सरकार को...
Success Story: अचार बेचने से लेकर ‘पद्मश्री’ तक का सफर
Success Story: राजकुमारी देवी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर के सरैया गांव में एक निर्धन परिवार में हुआ था। वो शिक्षिका बनना चाहती थीं, लेकिन गरीबी के कारण उन्हें जल्द ही आनंदपुर गांव के अवधेश कुमार चौधरी से शादी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। शादी के बाद ...
जज्बे से भरेगा नापाक हरकतों का जख्म
कश्मीर में पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या घाटी के अमनपंसद लोगों के लिए बहुत बड़ा धक्का है। हत्या किसने की यह एसआईटी जांच से सामने आएगा लेकिन इतना तय है कि यह घाटी की भलाई के लिए सोचने वालों का कृत्य नहीं हो सकता। बल्कि यह घटना उन लोगों का दिल ठंडा करने...
जीएसटी में सुधार बनाम राहत
राजनीति और आर्थिक नीतियां इस तरह उलझ गई हैं कि सरकारें अपनी, कमियों या आवश्यक सुधारों को जनता के लिए तोहफे के तौर पर पेश कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 दिसंबर को बयान दिया था कि केंद्र सरकार जीएसटी के साथ जुड़ी वस्तुओं में छूट दे सकती है...
राजा का गरीब भाई
राजा भोज का दरबार लगा हुआ था। इसी बीच द्वारपाल ने आकर कहा-‘‘ महाराज! एक फटेहाल व्यक्ति आपसे मिलने की हठ कर रहा है और वह स्वंय को आपका भाई बतलाता है। उसे अंदर भेजा जाए अथवा नहीं? राजा भोज तुरंत बोले, उसे सम्मानपूर्वक अंदर ले आओ। जैसे ही वह व्यक्ति दरब...
जीवन पर खतरा, आर्थिक भविष्य की चिंता बेमतलब
आर्थिक तरक्की के चलते पूरी दुनिया ने अपना हवा, पानी, वन, मिट्टी, जीव जन्तु सब तहस-नहस कर लिए हैं। प्रकृति ने आर्थिक पहिये को जरा सा रोककर फिर से मनुष्य की हवा, पानी, मिट्टी, वनों की साफ-सफाई शुरू कर दी है वह भी बड़ी तेजी के साथ, जोकि मनुष्य अरबों रूपये के सफाई एवं पर्यावरण संरक्षण प्रोजेक्ट बनाकर भी नहीं कर पा रहा था।
सादगी की मिसाल थे ‘फोर्ड’ के संस्थापक
कुछ साल पहले फोर्ड ने निश्चय किया कि वह अपनी मशहूर वी-8 मोटर बनाएंगे। वह कार के लिए वी-8 इंजिन बनाना चाहते थे एक ऐसी कार जिसका खर्च आम लोग भी उठा सकें। इसके लिए उन्होने एक ऐसा र्इंजन बनाने का निश्चय किया जिसमे आठ सिलिंडरो को एक ही जगह डालने का निश्चय...
कैसे सार्थक होगा जय विज्ञान-जय अनुसंधान का नारा
पंजाब के जालंधर में आयोजित 106वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस सम्मलेन के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान की महत्ता को स्वीकार करते हुए जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया है। उन्होंने कहा कि आज के समय में हम विज्ञान और प्रौद...
आज भी एक अरब लोग पढ़-लिख नहीं सकते
दुनिया से अशिक्षा को समाप्त करने के संकल्प के साथ आज 54वां 'अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस' मनाया जा रहा है। साल 1966 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा विश्व भर के लोगों ...