एकता को पहचानें, जात-पात में न बटें किसान

Identify Unity Farmers Do Not Break Into Caste

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान से विशेष बातचीत

सच कहूँ/ विजय शर्मा करनाल। ‘‘कहां छुपा के रख दूं मैं अपने हिस्से की शराफत, जिधर भी देखता हूँ उधर (Identify Unity Farmers Do Not Break Into Caste) बेईमान खड़े हैं। क्या खूब तरक्की कर रहा है अब देश देखिए, खेतों में बिल्डर, सड़क पर किसान खड़े हैं।’’ ये किसी कवि की चंद लाइने किसानों के दर्द को ब्यान करती हंै। फटे कपड़े और नंगे पांव धरती की छाती चीरकर दूसरों का पेट तो ये किसान भर देता है लेकिन फसल का सही मूल्य न मिलने पर उसका परिवार आधा पेट भरकर ही सो जाता है।

आज राष्टÑीय किसान दिवस पर देश के अन्नदाता पर हो रही राजनीति और समस्याओं को लेकर सच कहूँ संवाददाता ने भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान से विशेष बातचीत की। जिनका उन्होंने बेबाकी से जवाब देते हुए देश के नेताओं पर किसानों पर गंदी राजनीति करने का आरोप तो लगाया ही साथ ही चुनावों के दौरान किसानों के एकजुट न होने पर भी अफसोस जताया।

एमएचपी से नीचे फसलों की खरीद पर हो सजा का प्रावधान

कर्जमाफी से देश के किसानों की आर्थिक दुर्दशा में क्या सुधार होगा? इस सवाल पर रतनमान ने कहा कि कर्जमाफी (Identify Unity Farmers Do Not Break Into Caste) किसानों की समस्या का हल नहीं है। अगर सरकार सच में किसानों को उसका हक देना चाहती है, तो फसलों का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाता है उस पर से ही बोली लगनी चाहिए। दूसरा जो खरीद मूल्य है उसे संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए। अगर मंडी में कोई एमएचपी से नीचे किसानों की फसलों को खरीदता है उसे सजा का प्रवाधान होना चाहिए। जैसे की महाराष्टÑ में किया जा चुका है। इसके साथ ही फसल खरीद का जो समय है वो पूरा साल होना चाहिए।

अगर सरकार इन पर फोकस करे तो किसान की स्थिति मजबूत होगी और वो कर्जदार ही नहीं होगा

2014 लोक सभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसानों से किए गए वायदों को लेकर पूछे गए सवाल पर (Identify Unity Farmers Do Not Break Into Caste) भाकियू प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि पीएम मोदी ने सरकार बनने पर स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने और फसल लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक मुनाफा देने का वायदा किसानों से किया था, जो साढ़े साल पूरे होने पर भी सरकार पूरा नहीं कर पाई। वहीं भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह स्वयं ये बोल चुके हैं कि ये महज चुनावी जुमला था। ऐसे में ये तो साबित हो चुका है किसानों को सिर्फ वोट लेने के लिए भाजपा सरकार ने गुमराह किया है।

चुनाव के समय जात-धर्म के नाम पर बंट जाता है किसान

हरियाणा में लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर अब आपकी क्या रणनीति रहेगी। आप किस पार्टी का बायीकाट करेंगे और किसे समर्थन देंगे? इस सवाल पर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि जब चुनाव का समय आता है तो किसान बंट जाता है, क्षेत्र के आधार पर, जात के आधार पर और धर्म के आधार पर। अगर राजनीति पार्टियां किसानों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं तो उसका सबसे बड़ा दोषी स्वयं किसान है। जो बंट जाता है और ये ही कारण है कि चुनाव जीतने के बाद नेता किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। अब रही बात बायीकाट व समर्थन की तो सभी पार्टियां एक जैसी हैं। प्रदेश में जितनी भी सरकारें बनी, सबने किसानों को जख्म ही दिए। मैं सिर्फ देश के किसानों से ये ही कहना चाहुंगा कि जात-धर्म में न बंटकर एकजुट हों ताकि अपना हक ले सकें।

आधी-अधूरी है कर्ज माफी, फिर भी कुछ तो राहत

तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने पर किसानों का कर्ज माफ करने के सवाल पर भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने जो क र्ज माफ किया है वो आधा-अधूरा है। लेकिन हां इससे किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। हरियाणा में भी खट्टर सरकार को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तर्ज पर किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए। लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि सीएम मनोहर लाल अभी तक किसानों के दर्द को समझ ही नहीं पाए।

किसानों की स्थिति सुधरी तो युवा भी बनेगा किसान

किसान का बेटा किसान क्यों नहीं बनना चाहता, क्या कारण है? इस सवाल पर रतनमान ने कहा कि आज का युवा पढ़ा-लिखा है वो अपने नफे-नुकसान को समझता है। वो देखता है मेरा दाता कर्जे में चला गया, मेरा बाप कर्जे में चला गया और आज भी मेरा परिवार कर्ज में है, किसकी वजय से, खेती की वजय से। ये सबसे बड़ा कारण है युवाओं का खेती से मुहं मोड़ना। हां अगर सरकार कृषि को उद्योग का दर्जा दे और कृषि के लिए भी अगल से बजट पेश करे तो, इस समस्या का समाधान जरूर होगा।

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