जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए भारत ने पांच अमृत तत्वों की सौगात दी

Climate Change

ग्लास्गो (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन को विकासशील देशों के अस्तित्व पर खतरा बताते हुए इस महाचुनौती से निपटने के लिए आज दुनिया के सामने पांच अमृत तत्वों की सौगात की पेशकश करते हुए कहा कि भारत वर्ष 2030 तक अपनी गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचायेगा और वर्ष 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करेगा। मोदी ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित विकासशील देशों की आवाज इस सम्मेलन में उठाना भारत का कर्तव्य और जिम्मेदारी है तथा वह इसे निभाने में पीछे नहीं हटेगा। प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के महासम्मेलन कॉप 26 में भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य पेश करते हुए कहा, ‘जलवायु परिवर्तन पर इस वैश्विक मंथन के बीच, मैं भारत की ओर से, इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं।

दूसरा भारत 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरत अक्षय ऊर्जा स्रोतों से पूरी करेगा

पहला- भारत 2030 तक अपनी गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा। दूसरा भारत 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरत अक्षय ऊर्जा स्रोतों से पूरी करेगा। तीसरा भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा। चौथा 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा।

पांचवा- वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा। पेरिस सम्मेलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने वहां कोई खोखला वादा नहीं किया। भारत ने उस सम्मेलन में जो भी वादा किया उसे पूरी तरह निभा रहा है और वह निरंतर कार्बन उत्सर्जन में कमी ला रहा है तथा पेरिस समझौते पर पूरी तरह खरा उतरा है। इस संदर्भ में उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं और कदमों का उल्लेख किया।

अब समय आ गया है ठोस कदम उठाने का

जलवायु परिवर्तन से संबंधित वित्त दावों की पोल खोलते हुए मोदी ने कहा कि ये खोखले साबित हुए हैं और अब जरूरत इस बात की है कि जो इन वादों को पूरा नहीं करते उन पर दबाव बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ये सच्चाई हम सभी जानते हैं कि क्लाइमेट फाइनेंस को लेकर आज तक किए गए वायदे, खोखले ही साबित हुए हैं। जब हम सभी क्लाइमेट एक्शन पर अपनी महत्वाकांक्षा बढ़ा रहे हैं, तब क्लाइमेट फाइनेंस पर विश्व के लक्ष्य वही नहीं रह सकते जो पेरिस अग्रीमेंट के समय थे।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जो देश अपना वादा पूरा नहीं करते हैं उन पर दबाव बनाया जाना जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के संबंध में अपनी प्रतिबद्धता को साहस के साथ पूरा कर रहा है और उसका मानना है कि विकासशील देशों और भावी पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए सबको एकजुट होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की आवाज उठाना भारत की जिम्मेदारी तथा कर्तव्य है।

 

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