Kagzi Bottles : सौ फीसदी कागज की बोतल बनाने वाली Samiksha Ganeriwal

Kagzi Bottles Samiksha Ganeriwal
Kagzi Bottles, Samiksha Ganeriwal

– Kagzi Bottles –

समीक्षा गनेरीवाल पेपर बॉटल्स (Kagzi Bottles) की संस्थापक हैं। उन्होंने कम्पोस्टेबल कागज के कचरे से 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल कागज की बोतल बनाने का समाधान ढूंढा है। एक बार जब वह टहलने गई, तो उन्होंने पानी की एक बोतल खरीदी और प्लास्टिक की पानी की बोतल को फेंकने में उन्हें बहुत असहजता महसूस हुई। इसके बाद उन्होंने सोचा कि एक ऐसी बोतल बनाई जाए जिसे हम कहीं भी फेंक सकें और उसके सड़ने की चिंता भी न हो। करीब 6 साल पहले उन्होंने कागज से बायोडिग्रेडेबल बोतल बनाना शुरू किया था। प्लास्टिक की बोतल के विकल्प के रूप में कागज की ऐसी बोतल बनानी शुरू की, जो कोल्ड ड्रिंक, वाटर और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में प्रयोग की जा सकती हैं।

दुनिया भर में हर दिन 220 मिलियन प्लास्टिक बोतलों का उत्पादन होता है, जिनमें से 80 प्रतिशत लैंडफिल साइटों पर सड़ती रहती हैं। एक प्लास्टिक की बोतल को विघटित होने में 450 वर्ष लगते हैं। इसका मतलब यह है कि जिन प्लास्टिक की बोतलों का हम उपयोग करते हैं, वे किसी न किसी लैंडफिल साइट पर पहुंच जाएंगी। पानी की बॉटलिंग प्रक्रिया सालाना 2.5 मिलियन टन कार्बन डाइआॅक्साइड वातावरण में छोड़ती है। डिस्पोजेबल पानी की बोतल का कचरा समुद्र में बहने से हर साल 1.1 मिलियन समुद्री जीव मर जाते हैं। समीक्षा ने पैकेजिंग आदि में उपयोग की जाने वाली बोतलों के अंदर एक्लेयर प्राकृतिक पदार्थ की एक परत छिड़क कर उन्हें जलरोधी बनाया। हालांकि वह तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं इसलिए वह अलग-अलग लोगों की मदद से कागज की बोतल बनाने की कोशिश कर रही हैं। इस समय कई उद्योगों में उनकी कागज की बोतलों का परीक्षण चल रहा है। इस प्रक्रिया में 3 से 6 महीने लगते हैं जिसके बाद इन बोतलों का उपयोग पैकेजिंग में किया जा सकता है। समीक्षा ने बीएससी में इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई की है और इसके बाद उन्होंने एमबीए की डिग्री ली है।

उन्होंने अपने उत्पाद को कई उद्योगों में परीक्षण के लिए दिया है और वहां उत्पाद की पैकिंग कर परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने अपनी कागज की बोतलें पानी, पेट्रोल, कॉस्मेटिक उद्योग आदि की बड़ी कंपनियों को परीक्षण के लिए दी हैं, जिस पर जल्द ही सहमति आने वाली है। कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में पेपर बोतल के परीक्षण के सकारात्मक नतीजे आए हैं और कंपनी प्लास्टिक बोतल की जगह पेपर बोतल इस्तेमाल करने पर सहमत हो गई है। उनकी कोशिश यह है कि इन पर्यावरण अनुकूल उपाय के जरिए धीरे-धीरे प्लास्टिक का उपयोग कम किया जा सके। बोतल की आयु पर समीक्षा कहती है कि इसे नौ माह तक इस्तेमाल किया जा सकता है। नष्ट हो जाने के बाद घर में रखे गमलों व क्यारी की मिट्टी में दबा सकते हैं। 19 रुपये की लागत में प्लास्टिक की बोतल तैयार होती है। फिर भी इसका दाम कम करने पर काम चल रहा है।