सरसा (सच कहूँ न्यूज)। किसान दिवस या राष्ट्रीय किसान दिवस भारत में 23 दिसंबर (Kisan Diwas) को और 12 अक्टूबर को संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया जाता है। जय जवान जय किशान देश के वीर किशानो को हार्दिक शुभकामनाएं। भारत में राष्ट्रीय किसान दिवस प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को मनाया जाता है, भारत के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर, एक किसान नेता, जिन्होंने भारतीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरूआत की। यह विभिन्न कार्यक्रमों, वाद-विवादों, संगोष्ठियों, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं, चर्चार्ओ, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, निबंध लेखन प्रतियोगिताओं और कार्यों को आयोजित करके मनाया जाता है। वहीं डेरा सच्चा सौदा ने किसान दिवस पर ट्Þवीट कर सभी किसानों को हार्दिक बधाई दी है।
देश के स्वास्थ्य, भविष्य व तरक्की में हमारे किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है, खुशहाल किसान ही देश को खुशहाल बना सकता है।
इस #किसान_दिवस पर सभी किसानों को हार्दिक शुभकामनाएं व कोटि कोटि धन्यवाद। #NationalFarmersDay #KisanDiwas— Dera Sacha Sauda (@DSSNewsUpdates) December 23, 2022
दत्तात्रेय की नरसिम्हा राव, चरण सिंह को श्रद्धांजलि| Kisan Diwas Singh
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शुक्रवार को यहां राजभवन में पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की पुण्यतिथि तथा पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह जी की जयंती अवसर पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें नमन किया। दिवंगत चरण सिंह की जयंती राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाई जाती है।
उन्होंने किसानों और प्रदेशवासियों को राष्ट्रीय किसान दिवस की भी बधाई दी। उन्होंने चरण सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता और किसान हितैषी नेता थे। उन्होंने किसानों तथा गरीबों के कल्याण के लिए संघर्ष किया। उन्होंने दिवंगत नरसिम्हा राव जी को भी श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि वह ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों के निमार्ता थे, जिन्होंने देश के सम्पूर्ण विकास की गति को तेज किया। वह भारतीय अर्थव्यवस्था की एक महान समझ रखने वाले एक बौद्धिक राजनेता थे।
चरण सिंह का जन्म
चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार मे हुआ था। स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए।
बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद गाजियाबाद, कमिश्नरी मेरठ में काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर,1902 को आपका जन्म हुआ। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था।
कानून की शिक्षा | Kisan Diwas
चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था।
आजादी के दीवाने चरण सिंह
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया।
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