Aditya-L1 Solar Mission: जानें, उस बेहतरीन रॉकेट की ताकत…जो आदित्य को करेगा सूर्य की ओर रवाना

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Aditya-L1 Solar Mission: जानें, उस बेहतरीन रॉकेट की ताकत...जो आदित्य को करेगा सूर्य की ओर रवाना

Aditya-L1 Solar Mission: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी में है, अब देश के साथ-साथ विश्व देश की निगाहें इसरो के सूर्य मिशन यानी आदित्य – L 1 पर टिकी है । श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से इसरो के सूर्य मिशन आदित्य एल – 1 मिशन को आज 11.50 बजे लॉन्च कर दिया गया आदित्य एल – 1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L – 1 पॉइंट पर पहुंचा देगा। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद ही यह अपने पॉइंट L-1 तक पहुंचेगी। इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद आदित्य एल – 1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा।

दरअसल Aditya -L 1 को PSLV-XL रॉकेट अंतरिक्ष में छोड़ेगा। यह पीएसएलवी की 59वीं उड़ान है। एक्सएल वैरिएंट की 25वीं उड़ान है। लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से हो रही है। रह रॉकेट 145.62 फीट ऊंचा है। लॉन्च के समय इसका वजन 321 टन रहता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह चार स्टेज का रॉकेट है।
यह रॉकेट Aditya -L 1 को धरती की निकली कक्षा में छोड़ेगा जिसकी पेरिजी 235 किलोमीटर और एपोजी 19500 किलोमीटर रहेगी। पेरोजी यानी धरती से नजदीकी दूरी और एपोजी अधिकतम दूरी। Aditya -L 1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है। लॉन्च के क़रीब 63 मिनट बाद रॉकेट से Aditya -L 1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा। Aditya-L1 Solar Mission

पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट वैसे तो आदित्य को 25 मिनट में ही आदित्य को तय की गई कक्षा में पहुंचा देगा। यह इस रॉकेट की सबसे लंबी उड़ानों में से एक है, यानी सबसे ज्यादा समय की इससे पहले इतनी लंबी यात्रा साल 2021 में ब्राजील के अमेजोनिया समेत 18 सैटेलाइट उड़ान थी।‌ उसमें एक घंटा 55 मिनट लगा था। उससे पहले सितंबर 2016 मैं इस रॉकेट ने 2 घंटे 15 मिनट की उड़ान भरी थी तब उसने 8 सेटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़ा था।

रॉकेट के लिए खास पेरिजी की व्यवस्था की गई | Aditya-L1 Solar Mission

इसरो के एक साइंटिस्ट ने बताया कि इस रॉकेट के लिए खास अरेंजमेंट ऑफ पेरिजी की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसलिए इस रॉकेट का चौथा स्टेज एक बार में आदित्य को तय ऑर्बिट में नहीं पहुंचाएगा ।‌पहले 30 सेकंड के लिए ऑन होगा जब तक आदित्य है यह तय AsOP हासिल नहीं कर लेता चौथ स्टेज उसे छोड़ेगा नहीं।

लैरेंज‌ प्वाइंट यानी L 1 पर किसी यान को पहुंचाना कठिन है लेकिन उससे फायदा ये है कि हम लगातार सूरज की तरफ बिना किसी बाधा के देख सकते हैं, यह एक हैलो ऑर्बिट होता है और इसरो को Aditya -L 1 का सारा डाटा रियल टाइम में मिलता रहेगा। और इससे यह भी फायदा होगा कि ईश्वर लगातार सूरज की वजह से बदलने वाले अंतरिक्ष के मौसम पर नजर रख पाएगा।

जानकारी के लिए बता दे की Aditya -L 1 मिशन लॉन्च के बाद 16 दिनों तक धरती के चारों तरफ चक्कर लगता रहेगा। इस दौरान पांच ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे। ताकि सही गति मिल सकें। इसके बाद Aditya -L 1 का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन होगा। फिर यहां से शुरू होगी उसकी 109 दिन की यात्रा, और जैसे ही Aditya -L 1 पर पहुंचेगा, वह वहां पर एक ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा ताकि, L1 प्वाइंट के चारों तरफ चक्कर लगा सके।