फसलों को पाले से बचाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र ने जारी की कृषि सलाह

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हनुमानगढ़। क्षेत्र में कड़ाके की सर्दी का सितम जारी है। सर्दी रोज नए रिकॉर्ड बना रही है। सोमवार को भी पूरा इलाका घने कोहरे की चादर में लिपटा नजर आया। आसमान तक धुंध ही धुंध दिखाई दे रही थी। दोपहर तक कोहरे का असर रहा। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दिनों में अब तापमान धीरे-धीरे बढ़ेगा। हालांकि 13 जनवरी को पश्चिमी विक्षोभ के आसार हैं जिसके कारण वापस तापमान में गिरावट होगी। बादल भी छाएंगे लेकिन मावठ के आसार नहीं होंगे। पहले ये विक्षोभ 16 के आसपास आने वाला था लेकिन 13 तक आएगा। बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ में इसका ज्यादा असर होगा। तापमान वापस गिरने के आसार बनेंगे। दरअसल, कुछ दिन बाद वेस्टर्न डिस्टर्बंेस के कारण पहाड़ों में बर्फबारी होने के आसार बन रहे हैं। बर्फबारी के बाद बर्फीली हवा पहाड़ी इलाकों से होते हुए राजस्थान आएगी, इससे तापमान में भारी गिरावट होगी। वहीं, रबी की फसल के लिए मावठ का इंतजार कर रहे किसानों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है।

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक 15 जनवरी तक बारिश या बूंदाबांदी के कोई आसार नहीं है। 5 साल बाद ऐसा होगा, जब आधी जनवरी बिना बारिश के निकल जाएगी। उधर, संगरिया के कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से इस मौसम में फसलों को पाले से बचाने के लिए कृषि सलाह जारी की गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र संगरिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार के अनुसार सरसों व आलू की फसल में जब न्यूनतम तापक्रम 4 डिग्री सल्सियस तक पहुंच जाए व उत्तर दिशा में ठंडी हवा चल रही हो और आसमान साफ हो तो पाले से नुकसान की आशंका हो जाती है। इससे बचाव के लिए दोपहर के समय जब पत्तियां सूखी हो तो गंधक के तेजाब या डाईमिथाईल सल्फोऑक्साइड 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 100 से 125 लीटर घोल प्रति बीघा का छिड़काव करें।

पाले से बचाव के दैनिक उपाय

डॉ. अनूप कुमार के अनुसार पाला पडऩे की सम्भावना होने पर खेत में सिंचाई कर दें। खेत की उत्तर-पश्चिमी दिशा में वायुरोधक वृक्ष लगाने से फसल को ठण्डी हवाओं से बचाया जा सकता है। अधिक ठण्ड तथा आसमान में छाए बादलों के कारण सरसों की फसल में सफेद रोली रोग के लिए अनुकूल परिस्थिति है। वर्तमान मौसम की स्थिति ठण्ड और नमी रोग के लिए अनुकूल है। किसान खेत का नियमित निरीक्षण करें।

पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रंग के उभरे हुए फफोले दिखाई देते हैं और ऊपरी सतह पर पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे नजर आते हैं। उक्त अवस्था में सफेद रंग के फफोले पत्तियों के दोनों सतह पर फैल जाते हैं और फट जाने पर सफेद पाउडर पत्तियों पर फैल जाता है। धब्बे आपस में मिलकर पत्तियों को पूरी तरह ढक लेते हैं। रोग तेज होने पर पुष्पीय भाग व फलियां पूरी तरह अलग हो जाते हैं। इस कारण बीज नहीं बनते। इस रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें या मेटालैक्सिल 68 डब्ल्यूपी (मेटालेक्सिल 4 प्रतिशत मैन्कोजेब 6 प्रतिशत) का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

स्केलेरोटीनिया तना गलन

डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि अगेती सरसों में तने पर लम्बे जल शक्तियुक्त धब्बे बनते हैं। जिन पर कवक जाल रुई की तरह फैला रहता है। रोग के कारण पौधे मुरझाकर सूखने लगते हैं तथा अन्त में तना फट जाता है। ग्रसित तने की सतह पर भूरे-सफेद या काली-काली गोल आकृति की संरचनाएं (स्केलेरोशिया) पाई जाती हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए किसान खेत में आवश्यकता से अधिक सिंचाई न करें। 60 से 65 दिन की अवस्था पर प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी की 1.00 मिली दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।

पशुपालकों के लिए सलाह

कृषि विज्ञान केन्द्र संगरिया की ओर से शीतलहर से मवेशियों को बचाने के लिए भी पशुपालकों को सलाह जारी की गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र संगरिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि शीतलहर से बचाने के लिए मवेशियों को ऐसी जगह रखें जहां ठंडी हवा का प्रवाह कम से कम हो। गुनगुना पानी पिलाएं। दाने की मात्रा 300 से 500 ग्राम बढ़ा दें। जूट की बोरी के कपड़े पीठ पर ओढाएं। हरा चारा शाम को काटें जब हरे चारे पर ओस की बूदें न हों अर्थात पशुओं को हरा चारा सुखाकर खिलाएं। पशुशाला में हवा का प्रवेश जरूर हो ताकि पशु साफ हवा ले सकें। बिछावन के रूप में रबरमेट या पुराने भूसे का इस्तेमाल करें।

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