वैज्ञानिकों की सलाह से बनाएं खेती को लाभ का सौदा

भारत का किसान आज दोहरी मार का शिकार हो रहा है। एक, जनसंख्या वृद्धि के कारण घट रही खेती की जमीन और दूसरा मौसम की मार। घटती जमीन के अनुपात में खेती की लागत कम नहीं होती। लागत अधिक, आमदनी कम और ऊपर से मौसम की मार ने किसान को काफी पीछे धकेल दिया है। मौसम प्रकृति के हाथ में है। (Farming) किसान केवल लागत कम करने के बारे में ही सोच सकता है। इसके लिए किसान को कृषि वैज्ञानिकों का सहारा लेना पड़ेगा। परंपरागत खेती की बजाए विविधीकरण की ओर बढ़ना होगा ताकि विपरीत मौसम के अनुकुल भी फसल ली जा सके। उच्च गुणवत्ता के बीज, उत्तम क्वालिटी की खाद, कीटनाशक, सिंचाई के साधन व कृषि उपकरणों आदि पर लागत हर वर्ष बढ़ रही है।

यह भी पढ़ें:– भारत का भविष्य: समाचार रिपोर्टर | News Reporter Kaise Bane

ऐसे में इन बढ़ती लागतों को कैसे कम किया जाए, ये भी एक चुनौती है। इन सबसे निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह बहुत जरूरी है। अनावश्यक सिंचाई, खाद और अनावश्यक कीटनाशकों के प्रयोग से बचने के लिए वैज्ञानिकों की सलाह ही एकमात्र विकल्प है। मिट्टी की सही जांच हो, जब तक मिट्टी की सही जांच नहीं होगी तब तक किसान अनावश्यक लागत बढ़ाता रहेगा। मिट्टी की सही जांच के बाद ही उचित मात्रा में खाद व कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है। इससे अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकेगा। जिस प्रकार कोई व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए दिमाग का इस्तेमाल करता है, अपने व्यापार के बारे में गहन अध्ययन करता है, जानकारी लेता है उसी के अनुरूप किसान को भी खेती के संबंध में अपनी पुरात्तन विचारधारा को बदलना होगा, अध्ययन करना होगा और कृषि वैज्ञानिकों से जानकारियां लेनी होगी।

उनके द्वारा लगाए जाने वाले सेमीनारों में भाग लेना होगा। सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी रखनी होगी। कृषि लागत को घटाने और अधिक पैदावार लेने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। किसान को कृषि व्यवसाय के साथ-साथ कृषि से संबंधित अन्य व्यवसायों को भी अपनाना होगा जैसे पशुपालन, डेयरी, मधु-मक्खी पालन, मशरूम, रेशम कीट उत्पादन इत्यादि। इन सभी उपायों पर अमल में लाकर ही खेती को लाभ का सौदा बनाया जा सकता है।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।