पीर-फकीर को बनाएं अपना ‘सच्चा दोस्त’

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आज दुनियावी लोगों की सोशल मीडिया फैन फोलोविंग हजारों, लाखों में होगी। किसी के फैन फ्लोवर ज्यादा हैं जो उसकी चाल ही बदल जाती है, किसी का दोस्त या जान पहचान अगर ऊंची हस्ती वाले के साथ है तो वह खुद को भगवान समझने लगता है। लेकिन इंसान भूल जाता है कि जब मुसीबत आती है तो ये दोस्त और फैन फोलोविंग तो क्या अपने खून के रिश्ते भी नजर छुपाते फिरते हैं। ऐसे में सच्चा दोस्त किसे बनाया जाए? आज सच कहूँ ‘‘संस्कारशाला’’में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूहानी सत्संगों के माध्यम से फरमाये गए उन अनमोल वचनों को आपके समक्ष लाया गया है, जो आपको बताएंगे कि ‘सच्चा दोस्त’ कैसा हो ? और वह कैसे आपके जीवन को सही मार्ग दिखा सकता है।

स्वार्थी लोगों से रहिए सावधान

खुदगर्ज लोगों से हमेशा अलर्ट रहने का आह्वान करते हुए पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि मत पड़िए पांखण्डों में, स्वार्थी लोगों के चक्कर में जब उनका स्वार्थ होता है तो बड़े मीठे गीत गाते हैं, स्वार्थ निकल गया तो दुखदर्द में भी एक बात कहने नहीं आते। इन स्वार्थी लोगों से सावधान रहिए! जमीर की सुनिए, फकीर की सुनिए उसी में फायदा है। इस कलयुग के दौर में आप सोचते हो फलां आदमी अच्छा होगा। लेकिन सभी लोग एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। ये संसार ऐसा बाजार है यहां खुदगर्जी का सामान ज्यादा बिकता है। लोग खुदगर्ज हैं, बेइंतहा स्वार्थी हैं ऐसे स्वार्थी युग में लोग अपना स्वार्थ हल करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं। दुनिया के लोग किसी भी बात के लिए नहीं छोड़ते, अच्छे कपड़े पहनते हो तो कहते हैं, ज्यादा ही बनता है। और फटे पुराने पहनते हो तो कहते हैं कंजूस है, सब कुछ होते हुए भी नाटक करता है। तो इस दौर में यह जो समय चल रहा है आप मस्त रहें राम नाम में, होशियार रहें दुनिया के काम में।

इंसानियत की शिक्षा देने वाला ‘फकीर’ ही सच्चा दोस्त

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि दोस्त उसको बनाईये जो आपकी गलतियां बताए, दोस्त वो कभी नहीं होता जो आपकी गलतियां छुपा के आपकी वाह-वाह करता रहता है। दोस्त सच्चा वो होता है जो कड़वी बात कह दे। आप गलत काम कर रहे हो आपको झट से कह दे, ये गलत है जो तू कर रहा है। जो ये कहे कोई बात नहीं यार, सारी दुनिया कर रही है तू भी कर। समझ लो वो दुश्मन है जो दोस्त बनकर धोखा दे रहा है। सो सच्चा दोस्त ‘फकीर’ ही होता है जो सच्ची राह बताता है।

भाग्यशाली हैं जो सत्संग में आते हैं

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि यह समय कलियुग का है, ऐसा समय है जिसमें इंसान हर बुरे काम में खुशी-खुशी हिस्सा लेता है। और जब अच्छे काम की बारी आती है, तो दूर हो जाता है। हर बुरे काम के लिए, निंदा-चुगली, काम-वासना, क्रोध-लोभ, मोह-अहंकार के लिए ज्यादातर लोगों के पास समय होता है, पर जब अल्लाह, राम, गॉड, रब की बात करनी हो, सेवा-परहित परमार्थ करना हो तो लोगों के पास समय नहीं होता।

आप, भी अपने पीर-फकीर के प्रति बनें सच्चे दोस्त

अगर भगवान बख्शिश कर दे तो किसी को पता ही नहीं क्या कर दे? वो जितनी जल्दी देता है उतनी जल्दी ले भी लेता है। इसलिए शुक्राना परमात्मा का करना कभी भूलो न। वो मालिक दया का सागर झोलियां भरता ही जाएगा। वो बख्शता ही रहता है पर कभी तो घड़ा भरता ही है न। सो इसलिए घड़ा भरने न दो उससे पहले ही तौबा कर लो। और संत, पीर, फकीर, का सच्चा रिश्तेदार, सच्ची औलाद, सच्चा दोस्त वही होता है जो रब के राह पर चले। जो चलते हैं उनके लिए भी दुआएं होती हैं, जो नहीं चलते हैं, उनके लिए भी दुआएं होती हैं। फर्क इतना है चलने वाले पर दुआएं काम कर जाती है। न चलने वाले पर उनकी दुआएं उनके पास जाकर लौट आती है। अब इसमें संत का क्या दोष है?

संत अपने लिये नहीं, दूसरों के हित के लिए करते हैं प्रार्थना

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि गुरु, संत, पीर-फकीर, पैगम्बर इंसान के सच्चे दोस्त हैं। संत महापुरुषों की जिंदगी दूसरों के लिए होती है, और जो दूसरों के लिए जीता है उसमें अनमोल खजाना छुपा होता है जो वो कहता हैै। अपने लिए तो लोग सौ गप्प मारेंगे लेकिन जो संत, पीर-पैगम्बर इस दुनिया में आते हैं वो अपने हित के लिए किसी से प्रार्थना नहीं करते, परहित के लिए परमात्मा से प्रार्थना करते हैं इसलिए वो मालिक उनकी प्रार्थना मंजूर करता है। और ऐसे लोगों को खुशियां जरूर मिलती हैं जो उनके वचनों पर अमल करते हैं।

आंखें मूंद कर किसी पर न करें यकीन

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आंखें मूंद कर किसी पर यकीन न करें। चाहे वो कोई भी क्यों न हो? राम और उसका नुमार्इंदा कोई सच्चा फकीर है, उस पर दृढ़ यकीन करें, ताकि वो आपको हर पाप कर्म से,हर बुरी बला से बचा सके। क्योंकि संत कभी किसी का बुरा सोचते नहीं, करना तो दूर की बात। इंसान अपने आप गिर जाते हैं बुरे कर्म कर-कर के और दोष भगवान को देते हैं। आप जी ने उदाहरण देते हुए फरमाया कि ‘तरूवर फल नहीं खात है, सरुवर पीव न नीर। परमारथ के कारने संतन भयो शरीर।।’ तरुवर (पेड़) फल खुद नहीं खाता। मीठी झील, समुद्र पानी खुद नहीं पीते। वो दूसरों के लिए होता है, उसी तरह संत पीर-फकीर जो होते हैं उनकी जिंदगी भलाई के लिए होती है, वहीं आपके सच्चे दोस्त भी होते हैं।

रोजाना पांच मिनट अपने लिए जरूर निकालें

आज ज्यादातर लोग अपने दुखों से दुखी नहीं है दूसरा सुखी क्यों है इस बात से ज्यादा दुखी हंै। कोई कमाई करता है, कोई क्या करता है, कोई किधर जाता है? ये खबर ज्यादा है। खुद क्या करता है? इसकी खबर छुपाता है और अंजान बन जाता है मैंने तो कुछ किया ही नहीं। इसलिए आज जरूरी है आप पांच मिनट शाम को खुद के लिए दिया करो, सिर्फ पांच मिनट। भक्ति करो और पांच मिनट सोचो आपने गुजरी जिंदगी में कौन से अच्छे काम किए और कौन से बुरे काम किए। दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा।

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