मुझे और बेटे दीपेंद्र हुड्डा को पद का कोई लालच नहीं : भूपेन्द्र हुड्डा

Bhupendra Hooda, sachkahoon

जींद (सच कहूँ न्यूज)। पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा (Bhupendra Hooda) ने कहा कि वे पद के लिए राजनीति नहीं करते, उनका मकसद कांग्रेस पार्टी के संगठन को मजबूत करना है। कांग्रेस के सत्ता में आते ही पुरानी पेशन पद्धति तथा खिलाड़ियों के कोटे को बहाल कर दिया जाएगा। वे वीरवार को बलजीत रेढू के आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। हुड्डा ने कहा कि मुझे और दीपेंद्र हुड्डा को पद का कोई लालच नहीं है। उन्होंने माना कि पिछले सात सालों से जिले तथा ब्लॉक पर संगठन न होने के कारण पार्टी को नुकसान हुआ, लेकिन जल्द ही प्रदेश में पार्टी का मजबूत संगठन होगा।

उन्होंने (Bhupendra Hooda) कहा कि कांग्रेस शासनकाल में रिकार्ड विकास कार्य हुए। अब गठबंधन सरकार में केवल इंवेट मैनेजमेंट किया जा रहा है। मजदूर, किसान, व्यापारी समेत हर वर्ग सरकार की नीतियों से परेशान है। प्रदेश लगातार कर्जवान होता जा रहा है। सरकार की यह नीति है कि कर्ज लो घी की तरह पिओ, मौज करो और उसे हजम कर जाओ। बजट सिवाए सब्जबाग के कुछ नहीं था, बिल्कुल पूरी तरह थोथा था। अब खिलाड़ियों के कोटे को भी सरकार ने खत्म कर दिया। खिलाड़ियों ने ही विश्वभर में प्रदेश तथा देश का नाम रोशन किया था।

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार आती है तो कर्मचारियों की पुरानी पेशन बहाल किया जाएगा और खिलाड़ियों को कोटा भी दिया जाएगा। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार तुरंत प्रभाव से दोनों मदो को बहाल करें। आम आदमी पार्टी को लेकर उन्होंने कहा कि हर प्रदेश का अपना राजनीतिक वातावरण होता है, हरियाणा में आप का कोई राजनीतिक असर नहीं होगा। दिल्ली में आप की सरकार है और दिल्ली तीन तरफ से हरियाणा से घिरी हुई है। पंजाब में आप की सरकार बनने पर भी हरियाणा की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। आप में शामिल होने वालों के बारे में उन्होंने वैदर काकस की संज्ञा दी।

शहरी निकाय चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेशन के चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ा जाएगा, जबकि नगर परिषद तथा पालिका के चुनाव पार्टी सिंबल को लेकर अभी तक फैसला नहीं हुआ। बीरेंद्र सिंह को अपना भाई बताते हुए कहा कि अच्छा है 76 साल बाद अपना जन्मदिन मना रहे हैं, लेकिन उन्हें इसको लेकर न्यौता नहीं मिला। इस अवसर पर सफीदों के विधायक सुभाष गांगोली, धर्मेन्द्र ढूल, सुरेश गोयत, रिषीपाल सरपंच, सतपाल उर्फ सतू, दीपक पिंडारा, प्रदीप गिल समेत काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।

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