विज्ञान और आविष्कार की ताकत थे नरसिम्हा

Narasimha was the power of science and invention

20 जुलाई, 1933 को जन्मे, प्रो नरसिम्हा (Prof. Roddam Narasimha) ने एयरोस्पेस के क्षेत्र में द्रव डायनामिस्ट के रूप में एक पहचान बनाई। वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के वैज्ञानिकी सलाहकार भी रहे थे। प्रो. नरसिम्हा का लड़ाकू विमान लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस की डिजाइनिंग और इसे विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वह 2000 से 2014 तक बेंगलुरु के जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में इंजीनियरिंग मैकेनिक्स यूनिट के अध्यक्ष थे।

नरसिम्हा को साल 2013 में विज्ञान और तकनीकि के क्षेत्र में उनके अपार योगदान के लिए देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वह भारतीय अंतरिक्ष आयोग के भी सदस्य थे और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ईसरो) के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ निकटता से जुड़े थे। साल 1962 से 1999 तक नरसिम्हा शहर के द इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस (आईआईएससी) में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोसेफर रह चुके हैं और वह 1984 से 1993 तक भारतीय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (आईसीएसआईआर) के राज्य सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय एयरोस्पेस लेबरेटरीज (एनएएल) के निदेशक भी रहे हैं।

उनके पारिवारिक मित्रों के अनुसार, वे भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की लीग में थे। डॉ. कलाम और प्रोफेसर नरसिम्हा ने मिलकर एक किताब लिखी थी ‘डेवलपमेंट इन फ्लूइड मैकेनिक्स एंड स्पेस टेक्नोलॉजी।’ वह प्रख्यात वैज्ञानिक और भारत रत्न से सम्मानित डॉ. सीएनआर राव के अच्छे दोस्त भी थे। वह भारतीय रॉकेट वैज्ञानिक प्रोफेसर सतीश धवन के छात्र थे।

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