जनता से सहानुभूति रखने की आवश्यकता

Haryana BJP

भाजपा ने सत्ता में सात वर्ष पूरे कर लिए हैं। हालांकि दूसरी लहर का प्रभाव कम होने लगा है किंतु महामारी ने जिनके निकट संबंधियों की मत्यु हुई है उनकी समस्याएं शीघ्र दूर होने वाली नहीं हैं। सत्तारूढ़ पार्टी को इस दूसरी लहर से हुई क्षति की भरपाई के प्रयास करने होंगे। इस महामारी के संबंध में भाजपा का रूख ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने इस महमारी से निपटने में कोई गलती नहीं की है। यह सच भी है किंतु ऐसी महामारियां एक सदी में एक बार होती है और किसी भी सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि वह ऐसी महामारियों के प्रसार को रोक सके। किंतु भाजपा इस बात से कैसे बच सकती है कि केन्द्र इस महामारी से निपटने में उदासीन रहा है।

यह सच है कि स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है और केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ, पंजाब, दिल्ली आदि विपक्ष शासित राज्य इस महामारी के प्रसार को रोकने में विफल रहे हैं किंतु भाजपा शासित राज्यों की भी यही स्थिति रही है। पार्टी के प्रवक्ता केवल विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस की आलोचना करते हैं। राजनीति की दृष्टि से वे ऐसा कर सकते हैं किंतु वे अपनी गलतियां स्वीकार नहीं करते हैं। समस्या यह है कि भाजपा सत्तारूढ पार्टी है और नागरिक आशा लगाए बैठे हैं कि ऐसे संकट में मोदी उनकी समस्याएं दूर करेंगे। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लोगों की ये आशाएं धूमिल हुई हैं क्योंकि यह सत्तारूढ़ दल की जिम्मेदारी है। यह सही है कि सरकार को चलाने के लिए सत्ता आवश्यक है किंतु प्रत्येक मुद्दे का समाधान शक्ति के प्रदर्शन से नहीं होता है। मुद्दों के समाधान के लिए सहानुभूति भी चाहिए होती है।

यदि टीवी वाद-विवाद में भाजपा नेताओं और प्रवक्ताओं की भाषा को देखा जाए तो पता चलता है कि उनके बयानों में संवेदनशीलता नहीं है। हजारों लोगों के शवों को देखने के बाद भी ये प्रवक्ता देश में कोरोना के कारण कम मृत्यु दर की विश्व के अन्य देशों से तुलना करते हैं। नीतीश कुमार भाजपा नेतृत्व से इसलिए नाराज हैं कि उनकी पार्टी को कैबिनेट में स्थान नहीं दिया गया। 2019 के लोक सभा चुनावों से पूर्व भाजपा ने जद (यू) को पांच सीट देकर सामंजस्य बनाया था किंतु जद यू मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुई। इसी तरह उत्तर प्रदेश में अपना दल (एसपी) नेता अनुप्रिया पटेल भी भाजपा से नाराज है। पार्टी को केवल चुनाव जीतने और सरकार बनाने के दृष्टिकोण से ही आगे नहीं बढ़ना होगा। उसे सहानुभूति पर आधारित राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।

 

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