‘नेगेटिव कभी मत सोचो’

Meditation, Dera Sacha Sauda

 आप सत्संग सुनते हो तो कर्म भी आपके कटेंगे

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। सत्संग में जब इंसान चल कर आता है। तो दिलों-दिमाग में जो विचार होते हैं, भावनाएं, शंकाएं, सवाल होते हैं उनका जवाब मिल जाता है। इशारा मिल जाता है और सुनकर अमल करे तो वाकई उसकी गम, चिंता, परेशानियां दूर होते जाती हैं। संतों के सत्संग में वचन सुनकर अमल करना बहुत जरूरी है।

उक्त अनमोल वचन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी धाम में आयोजित वीरवार सायं की रूहानी मजलिस के दौरान फरमाए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आधा घंटा, एक घंटा जो भी समय आप सत्संग में देते हैं, भगवान पर एहसान मत किया करो।

कई बार आपको लगता है कि लो भाई मैं सत्ंसग में आ गया, देख भगवान! मैंने तेरा राम-नाम सुन लिया। एहसान क्यों जताते हो? आप सत्संग सुनते हो तो कर्म भी आपके कटेंगे, आपके बनेंगे तो इसमें एहसान जताने की कोई बात ही नहीं। बल्कि होना ये चाहिए कि हे मालिक मैं तेरा शुक्राना करना चाहता हूँ कि तूने कृपा की तभी मैं सत्संग में चलकर आ गया और सत्संग सुनकर मैं अपने भाग्य बदल पाऊंगा। तो उस मालिक का, राम का, ईश्वर का, वाहेगुरु का शुक्राना करना चाहिए न कि कोई एहसान जताना चाहिए।

कई सुबह-शाम, दिन-रात कार्य करते रहते हैं तो भी थकावट नहीं आती

आपजी ने फरमाया कि इंसान कैसे कर्म करता है ये या तो वह स्वयं जानता है या फिर भगवान। इंसान कर्म करता है, उसका फल चाहिए, हर किसी को चाहिए, लेकिन ईश्वर जिस हाल में रखता है, भक्तजन उसी हाल में खुश रहते हैं। पता नहीं उसके बदले में राम, अल्लाह, प्रभु, परमात्मा क्या बख्श दे? कुछ कहा नहीं जा सकता। बस आप निगेटिव न सोचें।

आपने दिमाग में सोच लिया कि मैं नहीं थकूंगा तो आप थकते नहीं, और सोच लिया कि मैं थक गया तो बैठे-बैठे थक जाओगे। कई खाली रहते-रहते थक जाते हैं। कई सुबह-शाम, दिन-रात कार्य करते रहते हैं तो भी थकावट नहीं आती। कईयों के चारपाई पर करवट बदलते समय मसल्ज़ खिंच जाते हैं और कई सारा दिन फावड़ा चलाते हैं व पता ही नहीं चलता।

यदि थोड़ी बहुत परेशानी है तो सोचें कि मेरा मालिक जाने, उसका काम जाने

इसलिए दिमाग की इसमें बहुत बड़ी भूमिका है। आप सोच लेते हैं कि आप कभी तरक्की नहीं करेंगे तो नहीं करोगे और अगर आप सोच लेते हैं कि मैं हारी बाजी जीतकर दिखाऊंगा तो आप जीत जाते हैं। इसलिए नेगेटिव न सोचा करो और मालिक के प्यारे को तो बिल्कुल भी नहीं सोचना चाहिए। आपके साथ तो राम, अल्लाह, सतगुरु होता है। यदि थोड़ी बहुत परेशानी है तो सोचें कि मेरा मालिक जाने, उसका काम जाने। अच्छे कर्म करते चलो, सतगुरु-मौला जरूर फल बख्शेंगे।

दूसरी ओर आप टेंशन लेते रहते हो। भैंस ने एक टाईम दूध नहीं दिया तो आप चारपाई पर लेट जाते हो, उससे क्या भैंस ज्यादा दूध देने लग जाएगी। बच्चा बीमार हो गया तो कहते हो ये क्या हो गया? जिंदगी में उतार-चढ़ाव चलता रहता है, इसमें टेंशन वाली क्या बात है? कई लोग बडे सेंसेटिव टाईप के होते हैं, बात-बात पर टेंशन लेते हैं। लेकिन भ्रम और निगेटिविटी दो चीजें जब आदमी के अदंर बैठ जाती हैं तो जिंदगी नर्क हो जाती है।

‘पहले से तू अच्छा लग रहा है’

सफाई रखना कोई भ्रम नहीं होता, अच्छे कर्म करना कोई भ्रम नहीं होता। सुमिरन करके दर्श-दीदार हों या सपने में या फिर प्रत्यक्ष तौर पर वो भी भ्रम नहीं होता। इसलिए टेंशन न लिया करो, कोई कुछ कह दे, निगेटिविटी को पकड़ा न करो। ये अच्छे-भले बंदे को बीमार कर देते हैं। हमने देखा है, माता-बहनें किसी बीमार का पता लेने जाएंगी, तो उसको कहेंगी- तू तो आगे से पीला हो गया। लाल हो तो भी पीला हो जाए बेचारा। और आदमी कहते हैं- यार कल से तो ठीक लग रहा है, चाहे सेहत पीली क्यों न पड़ी हो फिर भी लाली आ जाती है।

आप किसी का पता लेने जाओ तो उसे कभी भी गलत न कहो, चाहे वो बिल्कुल कमजोर हो गया हो। ‘पहले से तू अच्छा लग रहा है।’ आपके ये दो शब्द किसी को जिदंगी जीने की इच्छा पैदा कर देंगे। और हो सकता है वो बीमारी से लड़कर जीत जाए। हर किसी को यही चाहिए कि वो कभी निगेटिव न सोचे।

लड़ो अपने मन से जो आपको गलत विचार देता है

लेकिन कई होते ही निगेटिव हैं, जैसे मैं खड़ा नहीं हो सकता, चल नहीं सकता, खा नहीं सकता, जबकि सबकुछ कर रहे होते हैं। नेगिटिविटी पालने की बजाय आप उन चीजों से लड़ो, जो आपको जिंदगी में पीछे ले जा रही हैं। लड़ो अपने मन से जो आपको गलत विचार देता है। लड़ो उन बुराईयों से जो आप के ऊपर हावी होना चाहती हैं। लड़िए उन गलत ख्यालों से, जो आपको कहीं का नहीं छोड़ना चाहती और जीत जाईए जिंदगी की बाजी।

इस दुनिया से सभी को एक न एक दिन जाना है। लेकिन कई आते हैं और जिंदगी का दिया बुझा कर चले जाते हैं। वहीं कई आते हैं और दूसरों के लिए मशाल की तरह काम करते हैं और आने वाले समय में दुनिया उनकी दिखाई मशाल तले मार्ग तय करती है। आप मानो न मानो, चाहो न चाहो जन्म भी होता है और मरण भी होता है। आपकी इच्छा से कुछ होने वाला नहीं, आपके टालने से कुछ टलने वाला नहीं। इसलिए जो समय आपको मिला है, उसमें अच्छे कर्म करो। हिम्मत से आगे बढ़ो और नेकी भलाई करते हुए अल्लाह, वाहेगुरु राम के गुण गाते हुए खुशियां हासिल करो। हर समय आदमी की मन इच्छा पूरी नहीं होती।

‘सोचां बंदे दियां हुंदियां नहीं पूरियां, सोचदा है बहुत, पर रहिंदियां अधूरियां’

परम पिता जी वचन फरमाया करते, ‘सोचां बंदे दियां हुंदियां नहीं पूरियां, सोचदा है बहुत, पर रहिंदियां अधूरियां’ बहुत ज्यादा सोच लेता है, इसलिए अधूरी रह जाती हैं। फिर मन अंदर से मरोड़ा देता है- हो गई तेरी इच्छा पूरी, कुछ नहीं हुआ, सतगुरु कुछ नहीं करता। पर जो सौ इच्छाएं पहले पूरी हुई हैं, उनको साफ कर देता है। पहले बच्चे फट्टी लिखा करते थे और टीचर के ओके कहने पर पानी मार के साफ कर देते। तो मन ओके कहने ही नहीं देता पहले ही फट्टी साफ कर देता है, सतगुरु मौला ने पता नहीं क्या-क्या बख्शना होता है? पर अंहंकार, बेवजह मान-बड़ाई की बातें इंसान को बहुत पीछे ले जाती हैं। इसलिए दीनता, नम्रता का पल्ला कभी न छोड़ो, राम का नाम जपते रहो और सब का भला मांगो।

मालिक की खुशियां आपको मिल सकें

निगेटिविटी से नाता तोड़ कर रखो। क्यों नहीं होता आपसे अच्छा कर्म? आपसे पहले भी लोगों ने किया है वे भी माँ के पेट से जन्में हैं, आप भी माँ के पेट से जन्मे हैं। वो आगे निकल सकते हैं तो आप क्यों नहीं आगे बढ़ सकते। जरूर बढ़ सकते हैं, बस मन से लड़िए, सुमिरन, सेवा करिए और सबका भला मांगिए, ऐसा करते-करते जैसे आगे बढ़ोगे मालिक झोलियां भरेंगे। जब आदमी सेल्फिश हो जाता है तो न खुद को खुशियां, न परिवार का भला। मालिक से मालिक की भक्ति मांगो, मालिक से बंदों को जोड़ो, तोड़ोगे तो आपकी पीढ़ियां रुल सकती है आपकी कुलें बर्बाद हो सकती हैं। इसलिए जोड़ने की कोशिश करो ताकि मालिक की खुशियां आपको मिल सकें।

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