तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अब धरतीपुत्रों ने बनाई नई रणनीति

हरियाणा सहित तीन राज्यों से शुरू होगी शहीदी यादगार किसान मजदूर पदयात्रा

  • 18 मार्च को हांसी से शुरू होकर 23 को पहुंचेगी दिल्ली बॉर्डर

  • गाँवों और कस्बों में होगा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

रोहतक (सच कहूँ/नवीन मलिक)। केन्द्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब से शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू के शहीदी दिवस के उपलक्ष में शहीदी यादगार किसान मजदूर पदयात्रा का आयोजन किया जाएगा। यह पद यात्रा पूरे प्रदेश में भ्रमण करते हुए 23 मार्च को दिल्ली के बॉर्डरों पर सम्पन्न होगी। इस दौरान यात्रा के आगमन को लेकर किसान व मजदूर संगठनों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। साथ ही कमेटियों का भी गठन किया गया है।

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए किसान सभा के नेता इन्द्रजीत सिंह, सुमित दलाल, जयभगवान व सुरेखा ने बताया कि पूरे देश में तीन कृषि काले कानूनों के खिलाफ सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। उन्होंने बताया कि हरियाणा, यूपी व पंजाब से किसान मजदूर पदयात्रा निकाली जाएगी। एक पदयात्रा 18 मार्च को हांसी से शुरू होकर 23 मार्च को टिकरी बॉर्डर पर पहुंचेगी। किसान नेताओं ने बताया कि इस पदयात्रा को शहीद भगत सिंह की भांजी गुरजीत कौर हरी झंडी दिखाकर रवाना करेगी। वहीं इसी दिन जींद के खटकड़ टोल से भी पदयात्रा शुरू होगी, जोकि हांसी से शुरू होने वाली यात्रा में शामिल होगी। उन्होंने बताया कि हांसी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए किसानों के विद्रोह के केन्द्र के रूप में जाना जाता है। यह विद्रोह ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा थोपे गए असहनीय भूमि लगान के खिलाफ हुए थे और राजस्व कार्यालयों को किसानों ने मुख्य निशाना बनाया था।

किसान नेताओं ने कहा कि आज केन्द्र सरकार भी अंग्रेजों की नीति अपनाए हुए है और कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए देश की सम्पति की बेचने पर तुली हुई है। यह तीन कृषि काले कानून भी कार्पोरेट घरानों को ही लाभ पहुंचाने के लिए लागू किए हैं।

किसान नेताओं ने बताया कि दूसरा जत्था 19 मार्च को पंजाब के खटकड कला से शुरू होकर पानीपत आएगा और 23 मार्च को सिंधु बोर्डर पर पहुंचेगा। वहीं तीसरी पदयात्रा मथुरा से शुरू होकर पलवल पड़ाव पर पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि इन पदयात्राओं का मुख्य उद्देश्य सरकार को कुंभकर्णी नींद से जगाने का है और तीन काले कानून वापिस करवाना है। साथ किसानों ने कहा कि जब तक सरकार यह कानून वापिस नहीं लेती है, तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।