आनलाइन गुरुकुल के माध्यम से पूज्य गुरु जी छुड़वाया लाखों लोगों का नशा व बुराइयां
सच कहूँ/सुनील वर्मा
बरनावा। शुक्रवार को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग फरमाया और इस दौरान देश-विदेश से आॅनलाइन जुड़ी साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के दर्शन किए। वहीं इस अवसर पर हरियाणा के अंबाला, राजस्थान के पीलीबंगा, हिमाचल प्रदेश के धौला कुआं व शाह सतनाम जी धाम सरसा में हजारों लोगों ने पूज्य गुरु जी से नाम शब्द, गुरु मंत्र की अनमोल दात ली। इस दौरान पूज्य गुरु जी ने लाखों लोगों का नशा और बुराइयां छुड़Þवाई और लोगों को रामनाम व इंसानियत की शिक्षा देते हुए प्रभ भक्ति का सच्चा रास्ता दिखाया।
हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा, भगवान को पाना है तो रामनाम को समय देना होगा
पूज्य गुरु जी ने रूहानी सत्संग फरमाते हुए कहा कि संसार में दो तरह की दुनिया मोस्टली मानी जाती है। एक वो जो सुप्रीम पावर अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा रब्ब को मानते हैं और दूसरा वो जो भगवान को नहीं मानते। भगवान को मानने वाले क्यूं मानते है, किस लिए मानते हैं और भगवान को न मानने वालों ने ऐसा क्या देख लिया जो नहीं मानते, के बारे में पूज्य गुरु जी ने समझाते हुए फरमाया कि किसी भी चीज का रिजल्ट लेने के लिए पहले कुछ प्रैक्टिकली कार्य करना होता है। यानी कर्म के बिना रिजल्ट नहीं और ज्ञान के बिना कर्म नहीं है। अगर किसी चीज की इंसान को नॉलेज नहीं है तो उसके लिए कर्म कैसे करेगा और कर्म नहीं करता तो उसे प्राप्त कैसे करेगा। पूज्य गुरु जी ने उदारण के तौर फरमाया कि जिस प्रकार डिग्री हासिल करने के लिए पढ़ना पड़ता है और जिंदगी के 20-25 साल लगाने पड़ते हंै। तभी जाकर डिग्री या मास्टर डिग्री हाथ में आती है। जब एक दुनियावी डिग्री सीधी नहीं मिल सकती तो भगवान के दर्श-दीदार सीधे कैसे हो सकते हैं। भगवान के दर्श-दीदार के लिए भी मनुष्य को प्रभु के नाम का जाप करना होगा, भगवान के नाम का जाप करने के लिए समय निर्धारित करना होगा। यह सब हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा हुआ है।
दो महीने लगातार सुमिरन करने से महसूस होगी सुप्रिम पावर की शक्ति
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि प्रभु के नाम का सुमिरन करने के बारे में हमारे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों में लिखा है। हिंदु धर्म में सुबह के समय 2 से 5 के बीच को ब्रह्म मुर्हता कहा गया है। इसी समय को सिख धर्म में अमृत वेला, इस्लाम धर्म में बांगे भगत फर्ज, इबादत फर्ज और इग्लिश फकीर इसे दा गॉडस प्रेयर दी टाइम कहते हंै। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सुबह के इस समय इन्सान जागे, भक्ति इबादत करे और शाम को खाने के बाद एक घंटा प्रभु के नाम का लगातार दो महीने जाप करे तो उसे जरूर भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु के दर्श-दीदार होंगे। आप जी ने फरमाया कि दो महीने तक परहेजों के साथ सुमिरन करने से इंसान को उस परम शक्ति का अहसास होगा और दा सुप्रिम पावर गॉड जो एक है, उसको जरूर देख पाएगा और महसूस कर पाएगा। इंसान को विचार करना चाहिए कि उसको एमडी की डिग्री के लिए 20 से 25 साल लगाने पड़ते है और इधर भगवान के लिए दो ही महीने है। लेकिन फिर भी इंसान भगवान के लिए दो महीने लगाना नहीं चाहता और बैठा-बैठा ही कहता है कि भगवान तो है ही नहीं। इस बात का कोई इलाज नहीं है।
छाया: सुशील कुमार
हमारे धर्म ग्रंथों में जो लिखा है वो सच है
आनलाइन गुरुकुल के माध्यम से करोड़ों श्रद्धालुओं को धर्म व पवित्र ग्रंथों की महत्वता बताते हुए पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कुछ सज्जन इतिहास व धर्म में जो लिखा गया है उसको फिजूल की कहानियां कहते हैं। ऐसी सोच रखने वालों से हम पूछते हैं कि जरा बताइए इतिहास लिखा किसने हैं। लिखने वाला कोई और नहीं बल्कि आदमी है। वहीं हमारे धर्म भी आदमी ने ही लिखे हैं, पर वो उस समय जंगलात में चले गए। जिस प्रकार इतिहासकर्ता रहे होंगे, उन्होंने डिग्रियां ली होगी, डॉक्टररेट होंगे। उसी प्रकार धर्म ग्रंथों को लिखने वाले संत, पीर, फकीर,ऋषि, मुनि व पैगंबर कहलाए। उन्होंने पूरी उम्र का रिसर्च उन किताबों यानी धर्म ग्रंथों में दे दिया है। वो (ऋषि, मुनि व पैगंबर) अपना ऐम बनाकर चले और उन्होंने जिंदगी में अन्य कोई कर्म किया ही नहीं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज का इंसान इतिहास की बातों पर यकीन करता है, जो समय-समय पर बदलती रहती है। लेकिन धर्म-ग्रंथों की बातों पर यकीन नहीं करता। आप जी ने फरमाया कि जो महापुरुषों ने ग्रंथ लिखे वो पे्रक्टिकली मैथ्ड आफ मेडिटेशन है।
आप दो महीने परमात्मा का नाम लो, जरूर मिलेंगे भगवान
पूज्य गुरु जी ने भगवान को ना मानने वालों से आह्वान करते हुए वचन फरमाये कि आप दो महीने परमात्मा का नाम लेकर देख लो, भगवान के दर्श-दीदार जरूर होंगे। इतिहास बदलता रहा है यानी जो जो राजा-महाराजा आए, उन्होंने अपने हिसाब से इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा है। पूज्य गुरु जी ने यह भी कहा कि हालांकि हम यह भी नहीं कहते कि इतिहास के साथ ही ऐसा हुआ है, धार्मिक ग्रंथों के साथ भी ऐसा हुआ है। लेकिन उनमें जो अनुभव संत-पीर फकीरों के है वो ज्यौं के त्यौं सच है। तो यह दो तरह की दुनिया अपनी-अपनी मस्ती में है।
छाया: सुशील कुमार
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