- हुई माफियागिरयों पर लागू नहीं होगा नकल विरोधी कानून
देहरादून (ब्यूरो) । सड़कों पर उतरे युवा बेरोजगारों की मांग के मद्देनजर धामी सरकार ने आनन-फानन में नकल विरोधी अध्यादेश को मंजूरी तो दे दी परंतु इसमें बड़ा पेंच फंसा हुआ है। पेंच यह है कि यूकेएसएसएससी व यूकेपीएससी की जिन भर्ती परीक्षाओं में धांधली हुई है उन पर यह कानून लागू नहीं होगा। इसका मतलब साफ है कि सरकार ने उन लोगों को बचाने की पर्याप्त गुंजाइश छोड़ी है जिन पर सत्ता के संरक्षण में भर्ती परीक्षाओं में घोटाला करने का आरोप है।
युवाओं पर लाठीचार्ज के बाद वीरवार की देर रात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नकल विरोधी अध्यादेश को मंजूरी दी। राज्यपाल का अनुमोदन मिलते ही यह अध्यादेश प्रभावी हो जाएगा। राज्यपाल अभी देहरादून से बाहर हैं। 13 फरवरी को वह देहरादून आएंगे। विधानसभा के बजट सत्र में इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा। बहरहाल यदि अध्यादेश की बात करें को यह उस तारीख से प्रभावी होगा जिस तारीख में नोटिफिकेशन जारी होगा। खास बात यह भी है कि अध्यादेश के लागू होने की तारीख से पहले के घोटालों पर या घोटालों के आरोपियों पर यह कानून प्रभावी नहीं होगा। यानी जिन नकल माफिया और भ्रष्टाचारियों ने एक दर्जन से अधिक भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र बेचकर और छात्रों को नकल कराकर अरबों रुपये कमाये, सरकारी नौकरियों की सौदागरी की, सैकड़ों निर्दोष और उपयुक्त अभ्यर्थियों की नौकरियां डकार ली, उन सभी पर यह कानून लागू नहीं होगा।
उनकी न तो प्रॉपर्टी जब्त होगी, न हीं उन पर दस करोड़ का जुर्माना होगा और न ही नकल करने वाले अभ्यर्थियों को अध्यादेश के प्रावधानों के तहत आगामी भर्ती परीक्षाओं से डिबार किया जाएगा। मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि बेशक अध्यादेश के सभी प्रावधान उसे लागू होने की तारीख से प्रभावी होगा। लेकिन आईपीसी की धाराओं के तहत ही मौजूदा आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी। एसीएस ने कहा कि आईपीसी की जिन धाराओं में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, यदि पुलिस सही से पैरोकारी करे और सबूत जुटाए तो आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ेगा।
आरोपियों की जमानत पर उठ रहे है सवाल
आईपीसी की धाराओं में ही नकल माफियाओं को सजा दिलाने संबंधी शासन के दावे पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि अब तक भर्ती परीक्षाओं के घोटाले में मुख्य आरोपी समेत कई आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। कुछ तो जेल से भी बाहर आ चुके हैं। ऐसे में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का यह कहना कि आईपीसी की धाराओं में ही आरोपियों को कड़ी सजा दिलाएंगे पर सवाल खड़े हो गये हैं। हालांकि राधा रतूड़ी ने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस में आरोपियों को जमानत मिलना उनका वैधानिक अधिकार है। रही बात पुलिसिंग की तो हम तफ्तीश और पैरोकारी के पक्ष को और भी अधिक मजबूत करेंगे ताकि सजा दिलाई जा सके।
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