ऑर्गेनिक कृषि ही समाधान

देश भर में कृषि के लागत खर्चों में अथाह वृद्धि, बढ़ती बीमारियां, अशुद्ध वातावरण इत्यादि सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान ऑर्गेनिक कृषि ही है। विशेष रूप से पंजाब प्रांत के किसान खाद व कीटनाशकों पर इतने ज्यादा निर्भर हो गए हैं कि यह बात आम ही सुनने को मिल जाती है कि कौन सा कीटनाशक ज्यादा असरदार है। प्रत्येक किसान ऐसे कीटनाशक खरीदने में दिलचस्पी रखता है, जो ज्यादा से ज्यादा तीव्रता से असर दिखाए। इस चलन ने फसलों को जहरीला बना दिया और लोग सब्जियां अनाज के रूप में जहर ही खा रहे हैं।

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दूसरी तरफ कीटनाशक व खादों के दाम महंगे होने के कारण लागत खर्च भी बढ़ रहे हैं। किसान कर्जदार होता जा रहा है और रसायनों का पीछा छोड़े बिना लागत खर्च कम होते नजर नहीं आ रहे। आज से 40-50 वर्ष पूर्व फसलों का उत्पादन कम था, लेकिन किसान खुश रहते थे। खर्च कम थे, वातावरण शुद्ध था और किसान भी शुद्ध खाना खाता था। यही नहीं दूसरों के लिए भी अच्छी व शुद्ध उपज उगाता था। नि:संदेह आॅर्गेनिक के लिए मंडीकरण आसान नहीं परंतु शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी। यदि किसान अपने परिवार के लिए ही आॅर्गेनिक कृषि की शुरुआत करेंगे तब बदलाव अवश्य आएगा। कोई रास्ता तलाशता है और कोई दूसरों के लिए राह बनाते हैं।

मेहनती व अलग से कुछ करने वाले किसानों ने ऑर्गेनिक खेती के लिए अपना ही मंडी-प्रबंध किए हुए हैं। उनकी सब्जियां, फल, दूध, घी खरीदने वाले पक्के ग्राहक हैं। सूचना तकनीक के माध्यम से उन्होंने अपने कृषि उत्पादों का प्रचार किया है व फसलों के दाम आम फसलों से तीन गुणा मिल रहे हैं। जागरूकता बढ़ने से उपभोक्ता आॅर्गेनिक कृषि करने वालों को ढूंढने लगे हैं। यह भी वास्तविक्ता है कि आॅर्गेनिक कृषि करने वाले किसान भले ही कम हैं, लेकिन ऐसा भी देखा जा रहा है कि जागरूक उपभोक्ता आॅर्गेनिक सब्जियां खरीदने के लिए रोजाना ही कई-कई किलोमीटर तक पहुंच रहे हैं। यह भी नहीं कोई भी जागरूक नहीं, बल्कि लोगों को अभी ऑर्गेनिक वस्तुएं उतनी मुहैया भी नहीं हो पा रही।

यदि ऑर्गेनिक उत्पाद आम मिलने लगेंगे तब उपभोक्ताओं में खरीदने के लिए दिलचस्पी भी बढ़ेगी। सफल किसान और कृषि तकनीक विशेषज्ञ पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने किसानों के साथ-साथ भूमिहीन लोगों को भी अपने घरों में आॅर्गेनिक सब्जियों के लिए ऐसी तकनीक व विधि बताई है, जिसके लिए मिट्टी की भी आवश्यकता नहीं। केंद्र सरकार ने आॅर्गेनिक कृषि पर बल दिया है। यदि किसान सरकारें व उपभोक्ता आॅर्गेनिक मिलकर आगे बढ़े, तब मनुष्य के साथ-साथ भूमि की सेहत स्वस्थ व खुशहाल हो सकती है।

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