पंडित नेहरू बच्चों को मानते थे देश और समाज की शक्ति व बुनियाद – डॉ अजय तोमर

Baraut News
पंडित नेहरू बच्चों को मानते थे देश और समाज की शक्ति व बुनियाद - डॉ अजय तोमर

नेहरू के व्यक्तित्व में व्यावहारिकता और आदर्शवादिता दोनों गुणों का था समन्वय

बड़ौत (सच कहूँ/सन्दीप दहिया)। किसी राष्ट्र को ऐसा सौभाग्य बार-बार नहीं मिलता कि उसका नेतृत्व एक ऐसे ओजस्वी व्यक्तित्व के हाथ में हो। नेहरू (Nehru) के व्यक्तित्व में व्यावहारिकता और आदर्शवादिता दोनों गुणों का समन्वय था, जो की एक दुर्लभ गुण है। उपर्युक्त बातें राष्ट्रीय लोक दल बागपत के पूर्व विधायक डॉक्टर अजय तोमर ने बाल दिवस के रूप में मनाए जाने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस के अवसर पर कही। उन्होंने बताया कि नेहरू के विचारों में पश्चिमी सभ्यता व आधुनिकता का समावेश था। Baraut News

हमारे देश भारत में बाल दिवस पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। देश के पहले प्रधानमंत्री का मानना था, कि देश के भविष्य की सफलता और समृद्धि बच्चों की समृद्धि पर निर्भर करती है। उनका मानना था, कि कोई राष्ट्र तब तक पूरी तरह विकसित नहीं हो सकता अगर उसके बच्चे अवकसित वंचित और कमजोर हो। नेहरू जी बच्चों से विशेष स्नेह रखते थे तथा उनको देश का भविष्य मानते थे इसलिए उनके जन्मदिन को देश में बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। कहते हैं 1938 के आसपास एक रैली में एक बच्ची ने उन्हें गुलाब का फूल दिया था। ऐसा कहा जाता है कि जवाहरलाल नेहरू बच्चों की तुलना हमेशा गुलाब के फूल से करते थे।

वो कहते थे, कि बच्चे बाग की कलियों के जैसे होते हैं, उन्हें प्यार, स्नेह से बड़ा करना पड़ता है क्योंकि वो ही देश का भविष्य है। पंडित नेहरू बच्चों को किसी देश की वास्तविक शक्ति और समाज की बुनियाद मानते थे। उन्होंने बताया कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनके माता जी का नाम स्वरूप रानी नेहरू और पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरू था। पंडित मोतीलाल पेशे से बैरिस्टर थे। वही पंडित नेहरू की पत्नी का नाम कमला नेहरू था। नेहरू जी धनी संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे। साथ ही नेहरू जी तीन बहनों के अकेले भाई थे इसके चलते नेहरू जी की परवरिश में कभी कोई कमी नहीं आई। उन्होने प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में प्राप्त की। वहीं उच्च शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की। लंदन से उन्होंने लाॅ की पढ़ाई पूरी की। Baraut News

इस दौरान नेहरू जी ने समाजवादी की जानकारी भी इकट्ठा की। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद नेहरू जी साल 1912 में स्वदेश वापस लौट आए और स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1917 में होम रूल लीग से जुड़े और देश की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई। वही साल 1919 में नेहरू की पहली बार गांधी जी के संपर्क आए। यहां से नेहरू जी की राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई इसके बाद गांधी जी के साथ मिलकर नेहरू जी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। नेहरू की आजादी की लड़ाई के दौरान 9 बार जेल गए उन्होंने अपने जीवन के 3259 दिन करीब 9 साल जेल में गुजरे। Baraut News

वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए बड़ा संघर्ष किया और 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। जन्होने कहा कि नेहरू द्वारा पूनर्जीवित भारत का नया मंदिर के रूप में वर्णित यह बांध पूरे भारत से पर्यटकों की आकर्षित करता है। 15 अगस्त 1969 में स्थापित इसरो इसके पहले अध्यक्ष विक्रम साराभाई से विज्ञान की एक नई युग की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई थी जो आज चंद्रयान 3 के रूप में दुनिया को भारत के विज्ञान की पहचान करने का गौरव दिलाने में सफल रहा है। उन्होंने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरू हुआ।

नेहरू जी ने कई कल्याणकारी कार्य भी किया। जब नेहरू महाराष्ट्र की जेल में कैद थे। तो उन्होंने अपनी पुस्तक ‘ द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया ‘में लिखा था , भारत की अनेकता में एकता के विभिन्न पहलुओं का भारत संप्रभुता के अधिकार वाला एक राष्ट्र है। उन्होंने लंबे समय तक देश की सेवा की विश्व पटल पर भी नेहरू जी को प्रखर नेता कहा जाता था। पंडित नेहरू का योगदान भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने से लेकर आजाद भारत के विकास के सभी पहलुओं में रहा है। उनको आधुनिक भारत का वास्तुकार भी कहा जाता था। Baraut News

यह भी पढ़ें:– हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 16 को श्रीगंगानगर में करेंगे जनसभा को संबोधित