आदिवासियों की हर बात में तत्व ज्ञान, राजकुमार को बना दिया मर्यादा पुरुषोत्तम : मोदी

भोपाल, (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जनजातीय समाज के देश के सांस्कृतिक विकास में योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि आदिवासियों की हर बात में तत्व ज्ञान होता है और भगवान श्री राम के जीवन में जनजातीय समाज के अभूतपूर्व योगदान ने एक ‘राजकुमार’ को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ बना दिया। मोदी यहां भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर मनाए जा रहे ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के तहत आयोजित विशाल जनजातीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि राम ने वनवास के दौरान जनजातीय समाज की परंपराओं से प्रेरणा पाई। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा में इस समाज का योगदान अटूट है। उन्होंने सवाल किया कि इस समाज के योगदान के बिना क्या प्रभु श्री राम के जीवन में सफलता की कल्पना की जा सकती है। वनवासियों के समुदाय के साथ बिताए समय ने एक ‘राजकुमार’ को ‘मयार्दा पुरुषोत्तम’ बनाने में अहम योगदान दिया।

इस कार्यक्रम के पहले आयोजन स्थल पर मध्यप्रदेश की लगभग सभी जनजातियों में किए जाने वाले कर्मा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस नृत्य के गीत के संदर्भ में मोदी ने कहा कि आदिवासियों की हर बात में तत्व ज्ञान होता है। उनकी हर बात में ‘पर्पस आॅफ लाइफ’ होता है। उन्होंने कहा कि हमें उनसे बहुत कुछ सीखने की जरुरत है। इससे बड़ी देश की विरासत और पूंजी कुछ नहीं है। इस नृत्य की प्रस्तुति के बाद श्री मोदी ने गीत के भाव समझाते हुए अपने संबोधन में कहा कि जीवन चार दिनों का मेला है और धन-दौलत सब यहीं छूट जाना है।

आदिवासियों की परंपराओं में सृजन हैं – मोदी

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय परंपराओं और कलाओं की आज सराहना करते हुए कहा कि इनमें सृजन है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान इन्हें उचित स्थान नहीं मिल सका। मोदी ने जनजातीय नायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर यहां जंबूरी मैदान में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के तहत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और  तिरादित्य सिंधिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और अन्य नेता भी मौजूद थे।

मोदी ने अपने लगभग 35 मिनट के संबोधन में कहा कि जनजातीय समाज में प्रतिभा की कमी नहीं रही है। उन्हाेंने इस आयोजन के दौरान लगायी गयी प्रदर्शनी का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें जनजातीय समूह के लोगों द्वारा बांस और अन्य वस्तुओं से उत्पाद बनाए गए हैं, वे अद्भुत हैं। लेकिन दुर्भाग्य से इन प्रतिभाओं को पूर्व में उचित स्थान देने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। इस तरह के सृजन को बेहतर बाजार मुहैया नहीं कराया गया।

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