अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल जीवाना में आयोजित कार्यक्रम में छात्रों के साथ किया संवाद | Baraut News
बड़ौत (सच कहूँ/सन्दीप दहिया)। वर्तमान समय मे कैरियर (Carrier) और पढ़ाई के बोझ के कारण बच्चे मानसिक तनाव से अधिक जूझ रहे हैं वे डिप्रेशन जैसी कई मानसिक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में किशोरावस्था में काउंसलिंग बेहद जरूरी हो जाती है। गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल जीवाना के प्रबंधक डॉक्टर अनिल आर्य अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए कहा कि किशोर किशोरियों की उम्र बेहद संवेदनशील होती है, ऐसे में इनको एक और शारीरिक परिवर्तन तो दूसरी और मानसिक परिवर्तन से गुजरना पड़ता है। Baraut News
हारमोंस बदलाव के कारण इनमें सोचने और समझने की शक्ति ज्यादा नहीं हो पाती। इनकी प्रतियोगिता अपने सहपाठियों और दोस्तों से ज्यादा होती है। अध्यापक, अभिभावक या घर के किसी भी सदस्य की किसी भी प्रकार की डांट फटकार की बात इन्हें लग जाती है और यह गलत निर्णय ले लेते हैं।उन्होंने बताया कि ऐसे में अभिभावकों के लिए जरूरी है कि वह बच्चों के प्रति दोस्ताना रवैया अपनाए। उनकी बातों को समझने की कोशिश करें और प्यार से बात करने का प्रयास करें।
इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी लोगों को जागरुक कर रहा है। इलेक्ट्रिक गैजेट और रहन-सहन में बदलाव किशोर, किशोरियों, युवाओं को तेजी से प्रभावित कर रहा है पढ़ाई के साथ खुद को श्रेष्ठ दिखाने के चक्कर में युवा सेल्फ हार्मिंग बिहेवियर का शिकार हो रहे हैं इसीलिए समय-समय पर इनसे बात करना और सही मार्गदर्शन करना आवश्यक है। Baraut News
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