कोरोना में आमजन की कमाई घटी, अरबपति बढ़े

Economy

कोरोना महामारी के दौर में दुनिया भर में असमानता जबरदस्त तरीके से बढ़ी है। वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में आॅक्सफैम की एक रिपोर्ट जारी की गई। यह बताती है कि असमानता यूं तो पूरी दुनिया में बढ़ी है, लेकिन भारत में स्थिति बहुत गंभीर है। यहां मार्च 2020 से नवंबर 2021 तक 4.6 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी में चले गए। पूरी दुनिया में इस बीच जितने लोग गरीबी की दलदल में फंसे, यह संख्या उसकी आधी है। मार्च 2020 से नवंबर 2021 के बीच देश के 84 फीसदी परिवारों की कमाई में कमी आई।

शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 15 फीसदी से ऊपर चली गई। लेकिन इसी दौर में देश के अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई, जबकि उनकी संपत्ति 23.1 लाख करोड़ से बढ़कर 53.2 लाख करोड़ तक जा पहुंची। इस दौर में भारत अरबपतियों की संख्या के मामले में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गया। भारत में आज इतने अरबपति हैं, जितने फ्रांस, स्वीडन और स्विट्जरलैंड को मिलाकर भी नहीं हैं। हालांकि, भारत सरकार अपनी अनेक जन-कल्याणकारी योजनाओं यथा प्रधानमंत्री आवास योजना, मुफ्त राशन योजना, आयुष्मान भारत, पेंशन योजनाओं एवं ग्रामीण विकास के लिए चलाई जा रही अनेक योजनाओं के माध्यम से अत्यधिक गरीबी एवं बहुआयामी गरीबी को कम करने की लगातार कोशिश कर रही है।

भारतीय जनतांत्रिक राज्य ने पिछले वर्षों में राज्य द्वारा चलाए जाने वाली अनेक कल्याणकारी योजनाओं के जरिये पूरे देश में एक बड़े लाभार्थी समूह का निर्माण किया है। भारतीय जनतंत्र में वोट की शक्ति गरीबों को भी शक्तिवान बनाती है। वे अपने वोटों का सही ढंग से उपयोग कर राजसत्ता से अपनी गरीबी से मुक्ति के लिए योजनाएं व सुविधाएं हासिल कर सकते हैं। जब गरीब अपने वोट की शक्ति पहचान जाता है, तब अपनी गरीबी से निजात दिलाने का वादा करने वाले एवं उन वादों पर विश्वास करा लेने वाले को सत्ता सौंपता है। लेकिन यह तभी होता है, जब उसमें राजनीतिक चेतना विकसित हो जाती है, जब वह अपनी स्वयं की राजनीति विकसित करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।

गरीब जब स्वयं एकजुट सामाजिक एवं राजनीतिक समूह के रूप में विकसित होने की स्थिति बना लेता है, तभी वह अपने जीवन में गुणात्मक परिवर्तन करने की शक्ति भी प्राप्त कर पाता है। गरीबी से संपूर्ण मुक्ति भारतीय राज्य एवं भारतीय जनतांत्रिक राजनीति, दोनों के लिए चुनौती है, और स्वप्न भी। इसे हमें पाना ही होगा।देश के नीति-निमार्ताओं को इस मुश्किल का हल निकालना होगा। उन्हें आर्थिक सुधारों के मॉडल को ऐसा बनाना होगा, जिससे समाज के सभी वर्गों को आर्थिक तरक्की का फायदा मिले।

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