रायबरेली : पांचवीं बार भाग्य आजमायेंगी सोनिया

Rae Bareli: Sonia will try luck for fifth time

1999 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस लगातार जीत रही है

नई दिल्ली (एजेंसी)। आजादी के बाद से लगातार नेहरु-गांधी परिवार का साथ देती रही उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पांचवीं बार भाग्य आजमायेंगी। इस सीट से तीन लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव जीत चुकी श्रीमती गांधी की अस्वस्थता को देखते हुये यह माना जा रहा था कि इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी लेकिन कांग्रेस ने अपनी पहली ही सूची में उनका नाम शामिल कर इस तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया। वह 2004 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीत रहीं हैं।

पिछले आम चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रायबरेली के मतदाताओं ने उनका साथ दिया था और उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया था। रायबरेली सीट 1957 में अस्तित्व में आयी थी। वहां अब तक 16 लोकसभा चुनाव और तीन उपचुनाव हुये हैं जिनमें से 16 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। कांग्रेस को 1977 में यहां पहली बार हार का सामना करना पड़ा था और 1996 तथा 1998 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 1999 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का लगातार कब्जा है।

2014 में मोदी लहर के बावजूद रायबरेली से सोनिया गांधी जीती थी

श्रीमती गांधाी ने रायबरेली से पहली बार 2004 में चुनाव लड़ा था और करीब ढाई लाख मतों से जीत हासिल की थी। उस समय उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन तैयार करने में विशेष भूमिका निभायी थी। इन चुनावों के बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में इस गठबंधन की सरकार बनी थी। गठबंधन सरकार ने श्रीमती गांधी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन किया था। लाभ के पद को लेकर विवाद खड़ा होने पर श्रीमती गांधी ने 2006 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में रायबरेली के लोगों ने उन्हें फिर से अपना सांसद चुना। कांग्रेस अध्यक्ष रहते उन्होंने 2009 और 2014 में भी यहीं से चुनाव लड़ा और जीत का सिलसिला बरकरार रखा।

भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा किया था

मोदी लहर के बावजूद पिछले चुनाव में वह साढ़े तीन लाख से अधिक मतों से जीती थीं। पिछले चुनाव में कांग्रेस रायबरेली के अलावा अमेठी में ही जीत दर्ज कर पायी थी। भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा किया था। इस सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डाली जाये तो 1971 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस ने जीत हासिल की।

आपातकाल के बाद 1977 में हुये लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था जब भारतीय लोकदल के राजनारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को शिकस्त दी लेकिन उसके तीन वर्ष बाद हुये सातवीं लोकसभा के चुनाव में रायबरेली के मतदाताओं ने एक बार फिर इंदिरा गांधी के नाम पर मोहर लगायी। उस समय वह आंध्र प्रदेश के मेडक से भी चुनाव जीतीं थीं तथा उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। इस पर हुये उपचुनाव में नेहरु परिवार के सदस्य अरुण नेहरु कांग्रेस के उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीते और 1984 के चुनाव में भी उन्होंने इस पर अपना कब्जा बरकरार रखा।

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