झूठ हमेशा झूठ ही रहता है

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पंजाब की राजनीति घटिया हरकतों के लिए बदनाम है। सत्तापक्ष के नेता कभी हिंदू-सिखों का मुद्दा उछालते हैं तो कभी जातिवाद का। इस बार राजनीति एक और शर्मनाक मोड़ पर पहुंच गई है। बेअदबी मामलों में पंजाब की सत्तापक्ष कांग्रेस वोटरों को लुभाने के लिए जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन पंजाब की जनता इनकी चालों में नहीं आने वाली। कांग्रेस के पास सरकार होने के चलते पुलिस नाम का एक जरिया है, पुलिस भी किसी न किसी तरह जुगाड़ कर अपने राजनीतिक आकाओं के उद्देश्यों को पूरा करने की कोशिश करती है। सीबीआई द्वारा बेअदबी पर की गई जांच में क्या कमी है? क्या पंजाब पुलिस साबित करेगी।

फिर उच्च न्यायलय पंजाब व हरियाणा के साफ आदेश हैं कि पंजाब पुलिस सीबीआई जांच के आगे नए तथ्यों की पड़ताल करे ना कि पुन: जांच को दोहराए। इससे हैरानी व दु:खद बात कोई नहीं होगी कि राजनीतिक प्रभाव में जांच कर रहा कोई अधिकारी यह बोले कि वह पूरी निष्पक्षता से मामले की जांच कर रहा है। वास्तव में जांच का मतलब तो स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच होता है लेकिन जब राजनीतिक सोच द्वारा यह तय कर लिया जाए कि बेअदबी के आरोप में किसे फंसाना है, तब जांच का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। पुलिस सत्तापक्ष के इशारों पर चलती है, जिसका एकमात्र उद्देश्य अपने आकाओं के इशारों पर चलकर उन्हें खुश करना रह गया है। हैरानीजनक बात यह है कि डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां, डेरा मैनेजमेंट और श्रद्धालुओं के खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत ही नहीं फिर भी एक मामले को छह साल से खींचा जा रहा है और राजनीतिक उद्देश्यों के अनुसार जांच को मोड़ दिया जा रहा है।

पुलिस की यह बात हास्यप्रद है कि जांच को गुप्त रखा जाता है चूंकि रोहतक के सुनारिया में पूज्य गुरू जी से पूछे गए सभी सवाल और उनके जवाब मीडिया में वायरल किए गए, जबकि पुलिस के चार वरिष्ठ अधिकारियों के पास ही यह सभी सवाल जवाब थे, तब वे मीडिया में कैसे पहुंचे? इसके पीछे क्या उद्देश्य था? दरअसल 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सत्तापक्ष जांच को अपने अनुसार करवा रही है। उधर अब तक कि बेअदबी से जुड़ी इस जांच को देखा जाए या आरोपी बनाए गए पीड़ितों को सुना जाए तो इसे जांच कहने में ही शर्म आएगी, झूठे गवाह, सुनी सुनाई बातों के आधार पर मामले दर्ज कर पंजाब पुलिस ने अपनी भद्द पिटवा ली है।

लेकिन किसी को भी प्रयोग कर चली गई शर्मनाक चालें राजनीति में सफल नहीं होंगी क्योंकि पंजाब के लोग डेरा सच्चा सौदा के 74 वर्षों के इतिहास, विचारधारा और मानवता भलाई कार्यों से भली-भांति परिचित हैं। फिर 100 बार झूठ बोलने के बावजूद भी झूठ, झूठ ही रहता है, झूठ कभी सच नहीं बन सकता। इतिहास में झूठ की हार होती रही है। झूठ के आधार पर ओछी राजनीति करने वालों को भावी पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेंगी।

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